उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के करीब दो महीने बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने बड़े नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को पार्टी से बाहर कर दिया है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे और उनके बेटे को बाहर करने का फैसला लिया. इन दोनों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेनामी संपत्ति बना ली है.
साथ ही इनके कई अवैध बूचड़खाने भी चल रहे हैं, जिसके चलते पार्टी की छवि खराब हो रही थी. सतीश चंद्र ने नसीमुद्दीन पर पार्टी के नाम पर अवैध वसूली का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने विधानसभा चुनाव में योग्य प्रत्याशियों को टिकट देने के बजाय ज्यादा पैसे देने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए, जिसका पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. जारी बयान में कहा गया है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को पार्टी के सभी पदों से बर्खास्त करने के साथ बाहर कर दिया गया है.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी की हार के बाद से नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर कार्रवाई का अंदाजा लगाया जा रहा था. चुनाव परिणाम आने के कुछ दिन बाद ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बीएसपी के मध्यप्रदेश में संगठन की कमान दी गई थी. इस फैसले के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि बीएसपी नसीमुद्दीन को उत्तर प्रदेश की राजनीति से बाहर करने की तैयारी है.
मालूम हो कि यूपी चुनाव परिणाम आने के बाद मेरठ और मुरादाबाद में हुई पार्टी की समीक्षा बैठकों में भी कार्यकर्ता नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप लगा चुके थे. यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी का सोशल मीडिया नसीमुद्दीन के बेटे अफजल सिद्दीकी की देखरेख में था.
बताया जा रहा है कि लोकसभा और यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती नए सिरे से पार्टी के संगठन को तैयार करने में लगी हैं. लोकसभा चुनाव में बीएसपी एक भी सीट नहीं जीती थी, वहीं यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी 19 सीटों पर सिमट गई थी.