24 फरवरी को दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारियों के यूनियन ने राष्ट्रव्यापी भूख हड़ताल का आह्वान किया है।
69,000 करोड़ रुपये के पुनरोद्धार पैकेज को लागू करने में देरी के विरोध में कर्मचारियों के यूनियन ने यह अनशन बुलाई है। इस संदर्भ में ऑल यूनियन एंड एसोसिएशन ऑफ बीएसएनएल (एयूएबी) ने अपने बयान में कहा था कि, ‘एयूएबी 24 फरवरी, 2020 को देशव्यापी अनशन का आयोजन कर रहा है।
बीएसएनएल के पुनरोद्धार को लेकर केंद्रीय कैबिनेट के फैसले को जल्द लागू करने की मांग और कर्मचारियों के शिकायतों के निपटारे की मांग को लेकर इसका आयोजन किया जा रहा है।’
बता दें कि मोदी सरकार ने अक्तूबर 2019 में घाटे में चल रही सरकारी टेलीकॉम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के पुनरोद्धार के लिए 68,751 करोड़ रुपये के पैकेज को स्वीकृति दी थी। इसमें 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) भी शामिल थी।
आगे एयूएबी ने कहा है कि रिवाइवल पैकेज में 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, 15,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाने के लिए सॉवरेन गारंटी जारी करना, संपत्तियों की बिक्री और वीआरएस को लागू करना शामिल है। इनमें से केवल वीआरएस स्कीम को लागू किया गया है। इसके जरिए 78,569 बीएसएनएल कर्मचारियों को सेवानिवृत्त किया गया है। चार माह पूरे होने वाले हैं लेकिन तब भी बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटित नहीं किया गया है।
वित्त वर्ष 2017-18 में बीएसएनएल को 31,287 करोड़ का नुकसान हुआ था। कंपनी में फिलहाल 1.76 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। वीआरएस देने से कर्मचारियों की संख्या अगले पांच सालों में 75 हजार रह जाएगी।
एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों सरकारी दूरसंचार कंपनियों में भीषण नकदी संकट चल रहा है। दोनों ही कंपनियों का सबसे ज्यादा खर्च वेतन पर ही होता है। बीएसएनएल में जहां कुल आय का 75.06 फीसदी हिस्सा वेतन पर लगाना पड़ता है, वहीं एमटीएनएल में यह आंकड़ा 87.15 फीसदी है। इसके मुकाबले, निजी कंपनियों में देखें तो यह आंकड़ा महज 2.9 से फीसदी होता है। रिलीफ पैकेज के बाद भी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिला है।