बिहार विधान परिषद की पांच सीटों की मतगणना बुधवार को सुबह आठ बजे से शुरू हो गई है। देर रात तक परिणाम आने की संभावना है। जिन पांच निर्वाचन क्षेत्रों का चुनाव परिणाम बुधवार को आएगा, उसमें गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र, कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं।
बिहार विधान परिषद की इन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में शुक्रवार 31 मार्च को हुए मतदान में 72.5 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। विधान परिषद के चुनाव में गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में आठ, सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में नौ, गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में 12, सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में 12 और कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में सात प्रत्याशी मैदान में थे। वोटों की गिनती के साथ ही पांचों क्षेत्र के कुल 48 प्रत्याशियों के दिल की धड़कने बढ़ गई है।
संख्या बल के लिहाज से भाजपा के लिए नतीजे अहम
स्नातक और शिक्षक कोटे की सीटों के जरिए भाजपा विधान परिषद में सबसे बड़ा दल बनने के प्रयास में है। पांच सीटों के लिए चुनाव हो रहा, जिनमें से पार्टी के खाते में मात्र एक सीट है। उसका प्रयास इनमें से अधिसंख्य सीटों को जीत कर उच्च सदन में संख्या बल के लिहाज से बड़ा दल बनने की ओर है
छपरा मतगणना केंद्र के बाहर तैनात पुलिस के जवान
पांचों सीट पर भाजपा का महागठबंधन से मुकाबला
इसी आशा और रणनीति के तहत भाजपा ने पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशी दिए हैं। वर्तमान में चुनाव वाली पांच में से तीन सीटें अभी जदयू के पास हैं और एक भाजपा के खाते में। इनके अलावा सारण की सीट भाकपा से विधान पार्षद रहे केदार पांडेय के निधन से रिक्त हुई है। भाजपा और महागठबंधन के बीच इन पांचों सीटों पर कांटे की टक्कर के आसार हैं।
विधान परिषद में अभी सर्वाधिक 24 सदस्य जदयू के हैं। भाजपा उससे एकमात्र कम की सदस्य संख्या वाली पार्टी है। महागठबंधन की ओर से तीन सीटों पर जदयू, एक सीट पर राजद और सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से दिवंगत केदार पांडेय के पुत्र पुष्कर आनंद भाकपा के प्रत्याशी हैं।
छपरा के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में बनाए गए मतगणना केंद्र पर मतगणना करते कर्मी
राजद के प्रत्याशी पुनीत सिंह पार्टी के प्रदेश जगदानंद सिंह के पुत्र हैं। 75 सदस्यीय विधान परिषद में वर्तमान में दो सीटें रिक्त हैं। इसमें एक सीट जदयू छोड़ने और एमएलसी की सदस्यता से उपेंद्र कुशवाहा के त्यागपत्र देने के कारण रिक्त हैं। वहीं, दूसरी सीट केदार पांडेय के निधन से रिक्त है।