प्रोटॉन थेरेपी की मदद से कैंसर का इलाज करने में मदद म‍िलती है, जानें इसकी पूरी प्रक्र‍िया के बारे में-

शरीर में कोश‍िकाओं का असंतुलन कैंसर को जन्‍म देता है। जब इन असंतुल‍ित कोश‍िकाओं की संख्‍या बढ़कर एक समूह बना लेती है, तो उसे ट्यूमर कहा जाता है। कैंसर का इलाज रेड‍िएशन, सर्जरी, कीमोथेरेपी, दवा आद‍ि की मदद से क‍िया जाता है। जैसे-जैसे एडवांस तकनीक आ रही है, कैंसर का इलाज करने में डॉक्‍टरों को मदद म‍िलती है। ऐसी ही एक तकनीक है प्रोटॉन थेरेपी। प्रोटॉन एक तरह की थेरेपी है। इस थेरेपी की मदद से कैंसर और ट्यूमर का इलाज क‍िया जाता है। प्रोटॉन थेरेपी का इस्‍तेमाल सर्जरी और कीमोथेरेपी के साथ क‍िया जा सकता है। प्रोटॉन थेरेपी के दौरान और बाद में यह चेक क‍िया जाता है क‍ि इसका क‍ितना असर कैंसर सेल्‍स पर पड़ रहा है। प्रोटॉन थेरेपी की मदद से प्रोस्‍टेट, स‍िर-गर्दन, मस्‍त‍िष्‍क, फेफड़े आदि अंगों में होने वाले कैंसर का इलाज क‍िया जा सकता है। प्रोटॉन थेरेपी से पीडियाट्रिक कैंसर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर, पार्किंसंस रोग, मिर्गी, मैक्युलर डीजेनेरशन, आंख में मेलेनोमा का भी इलाज क‍िया जाता है। आगे जानेंगे इस थेरेपी की पूरी प्रक्र‍िया और कैंसर पर इसका प्रभाव। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की। 

कैंसर के इलाज में प्रोटॉन थेरेपी क‍ितनी प्रभावशाली है?-

प्रोटॉन थेरेपी क‍ितनी प्रभावशाली है, इस बारे में कहना मुश्‍क‍िल है। ऐसा इसल‍िए क्‍योंक‍ि अब तक इस पर कोई बड़ी र‍िसर्च सामने नहीं आई है। इसे अभी भी आधुन‍िक थेरेपी के रूप में देखा जाता है। लेक‍िन इसे कीमोथेरेपी की तरह ही असरदार माना जाता है। कैंसर का इलाज सर्जरी, रेड‍िएशन और कीमोथेरेपी की मदद से क‍िया जाता है। थेरेपी का इस्‍तेमाल, सर्जरी के बाद क‍िया जाता है। ऐसा इसल‍िए होता है ताक‍ि दोबारा कैंसर होने से बचा जा सके। रेडिएशन से कैंसर कोशिकाओं के साथ स्वस्थ कोशिकाओं भी मर जाती हैं। वहीं प्रोटॉन थेरेपी (Proton Therapy) की मदद से यह समस्‍या दूर होती है। इस थेरेपी में स्‍वस्‍थ कोश‍िकाओं को बचाते हुए  कैंसर प्रभावित क्षेत्र पर रेडिएशन द‍िया जाता है। इस थेरेपी को कीमोथेरेपी के साथ भी क‍िया जा सकता है। 

प्रोटॉन थेरेपी की प्रक्र‍िया-

प्रोटॉन थेरेपी में कैंसर की कोश‍िकाओं को नष्ट क‍िया जाता है। इस थेरेपी में प्रोटॉन बीम को मरीज के कैंसर वाले स्‍थान पर भेजा जाता है। साइक्लोट्रॉन नाम की मशीन से प्रोटॉन को स्‍पीड दी जाती है। प्रोटॉन की उच्‍च ग‍त‍ि, ज्‍यादा ऊर्जा बनाती है। कीमोथेरेपी के मुकाबले प्रोटॉन थेरेपी की रेड‍िएशन शरीर के ल‍िए उतनी हानि‍कारक नहीं होती है। प्रोटॉन शरीर में कम ऊर्जा के साथ प्रवेश करता है। यह अपनी ऊर्जा को ट्यूमर पर जारी करता है। इससे न‍िकलते समय स्‍वस्‍थ ऊतक पर प्रोटॉन का कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रोटॉन थेरेपी में 25 से 30 म‍िनटों का समय लग सकता है।

प्रोटॉन थेरेपी के फायदे-

  • इस थेरेपी से कैंसर का इलाज क‍िया जाता है। ट्यूमर को रेड‍िएशन की मदद से खत्‍म करने का प्रयास क‍िया जाता है।
  • कैंसर के अलावा स्‍वस्‍थ कोश‍िकाओं को खत्‍म होने से बचाया जा सकता है।
  • इस थेरेपी में मरीज को दर्द नहीं होता। बाहरी त्‍वचा की मदद से रेड‍िएशन द‍िया जाता है। 
  • यही मशीन 350 ड‍िग्री तक घूम सकती है ज‍िससे शरीर के क‍िसी भी कैंसर प्रभाव‍ित अंग को टार्गेट करने में आसानी होती है।  

प्रोटॉन थेरेपी के दुष्‍प्रभाव-

इस थेरेपी के कुछ फायदे तो कुछ दुष्‍प्रभाव भी हो सकते हैं। ये दुष्‍प्रभाव समय के साथ ठीक हो जाते हैं। जैसे-

  • कुछ घंटों के ल‍िए आंख से धुंधला द‍िखना। 
  • आंखों में सूजन और जलन।   
  • थकान महसूस होना।
  • सिरदर्द, मतली या उल्‍टी होना। 
  • बालों का झड़ना।
  • मुंह का स्‍वाद खराब होना।
  • भूख न लगना।
  • त्‍वचा का लाल होना। 

कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। इसका इलाज कराने में देरी न करें। प्रोटॉन थेरेपी से संबंध‍ित जानकारी पसंद आई हो, तो शेयर करना न भूलें।

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