रामायण, कृष्णा, बौद्ध सर्किट की फेहरिस्त में बहुत जल्द एक और सर्किट शामिल होगा। वह है संत कबीर सर्किट। पूर्वांचल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने इसके लिए पहल शुरू कर दी है। सर्किट में शामिल करने के लिए संत कबीर से जुड़े स्थलों की सूची विभाग की ओर से तैयार की जा रही है। इसके लिए विभाग ने कबीर की जन्म व कर्मस्थली वाराणसी के कबीर मठ लहरतारा और परिनिर्वाण स्थली मगहर के संत कबीर मठ से संपर्क साधा है। योजना का आधार तैयार करने के लिए विभाग की ओर से इन मठों के महंतों से प्रस्ताव भी मांगा गया है।
गोरखपुर के क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय ने की सर्किट बनाने की पहल
कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के बाद वहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बीते कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीते दिनों राष्ट्रपति के जाने से इसकी लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ी है। मगहर में संत कबीर अकादमी की स्थापना से शोधार्थियाें की आवक भी बढ़ने लगी है। इससे उत्साहित होकर ही पर्यटन विभाग ने सर्किट विकसित करने की योजना बनाई है।
अधिकारियों ने कबीर मठ से साधा संपर्क
योजना का प्रारूप तय करने के लिए विभाग की ओर से कबीर मठ लहरतारा के महंत अनिल दास और कबीर मठ मगहर के महंत विचार दास से संपर्क साधा गया तो उन्होंने न केवल इसकी तत्काल मौखिक सहमति दे दी। विचार दास ने संत कबीर दास से जुड़े उन स्थलों की सूची उपलब्ध कराने का आश्वासन भी पर्यटन विभाग को दिया है, जिनके विषय में अभी बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है। फिलहाल जिन स्थलों को केंद्र में रखकर कबीर सर्किट का प्रस्ताव बनाने की तैयारी चल रही है, उनमें कबीर मठ लहरतारा व मगहर, कबीर धूनी संत कबीर नगर और कबीर चौरा घासीकटरा गोरखपुर शामिल हैं।
पर्यटन विभाग तैयार करेगा लिटरेचर
कबीरपंथियों व पर्यटकों को मिलेगी यह सुविधाकबीर सर्किट के जरिये संत कबीर के स्थलों को जोड़ दिये जाने के बाद पर्यटन विभाग इसका लिटरेचर तैयार कराएगा और उसे प्रत्यक्ष और आनलाइन जारी करेगा। इसका लाभ दुनिया के किसी हिस्से में बैठे कबीरपंथी या पर्यटक इन स्थलों के भ्रमण की योजना बना सकेंगे। इससे पर्यटन विभाग का सर्किट बनाने के पीछे का उद्देश्य पूरा होगा। इसके अलावा सर्किट के तहत मार्ग दुरुस्तीकरण, मोटेल निर्माण, संग्रहालय की स्थापना आदि से संत कबीर से जीवन से जुड़े स्थलों का आकर्षण बढ़ाया जाएगा। साथ ही उन स्थलों पर पेयजल, शौचालय, यात्री शेड जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिसका लाभ वहां आने वाले पर्यटकों को मिलेगा।
आमतौर पर कबीर स्थल के नाम पर वाराणसी के लहरतारा व संतकबीर नगर के मगहर का नाम ही सामने आता है लेकिन वाराणसी से मगहर तक आने के दौरान संत कबीर दास का कई अन्य स्थानों प्रवास हुआ था। ऐसे सभी स्थलों की सूची बनाकर कबीर सर्किट का प्रस्ताव बनाकर स्वीकृति के लिए शासन को भेजने की तैयारी चल रही है। इसके लिए लहरतारा और मगहर के कबीर मठ की मौखिक सहमति मिल गई है। स्थलों के चयन में सहयोग मिल रहा है। – रवींद्र कुमार मिश्रा, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, गोरखपुर।