लखनऊ के विभूतिखंड इलाके में पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ लखनऊ की सीजेएम कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। धनंजय सिंह पर हत्याकांड की साजिश रचने का आरोप है।
बता दें कि बीते 6 जनवरी की अजीत सिंह की लखनऊ के विभूतिखंड इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस की जांच में दावा किया गया था कि पूर्व सांसद ने शूटरों की मदद की थी। वहीं, अभी पिछले रविवार को ही वारदात के मुख्य शूटर गिरधारी विश्वकर्मा पुलिस एनकाउंटर में मार दिया गया था।
गैंगवार में घायल शूटर का इलाज कराने वाले सुल्तानपुर के डॉ. एके सिंह ने पुलिस को बताया था कि धनंजय ने ही उन्हें फोन कर इलाज के लिए कहा था।
डॉ. सिंह ने कहा था कि उन्हें यह नहीं पता था कि घायल व्यक्ति कोई अपराधी है और उसे गोली लगी है। डॉक्टर से मिली जानकारियों के आधार पर पुलिस ने निष्कर्ष निकाला कि धनंजय ने न सिर्फ शूटरों को सहायता उपलब्ध कराई बल्कि उन्हें पुलिस से बचाने का काम भी किया।
विभूतिखंड के कठौता चौराहा पर छह जनवरी की रात सवा आठ बजे बदमाशों ने मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक के पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अजीत सिंह की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। अजीत को दिसंबर में ही मऊ से जिला बदर किया गया था जिसके बाद से वह यहां गोमतीनगर विस्तार के एक अपार्टमेंट में रह रहा था।
वह अपने साथी मोहर सिंह और महिला मित्र के साथ बुलेटप्रूफ एसयूवी से खाने-पीने का सामान लेने निकला था तभी बदमाशों ने उसे घेरकर ताबड़तोड़ गोलियां मारीं और भाग गए। बदमाशों की गोली से मोहर सिंह व एक राहगीर आदर्श भी घायल हुए थे।
अजीत ने भी अपनी पिस्टल से फायरिंग की थी जिसमें एक शूटर के पेट पर गोली लगी थी। मोहर सिंह ने आजमगढ़ जेल में बंद विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू सिंह की हत्या के आरोपी ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अखंड प्रताप सिंह और कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर समेत छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
अजीत सिंह विधायक हत्याकांड का प्रत्यक्षदर्शी था जिसकी जल्द गवाही होनी थी। कुंटू व बाकी आरोपी उसे गवाही न देने के लिए धमका रहे थे। पुलिस ने आजमगढ़ से शूटरों के साथ लखनऊ आने वाले प्रिंस और रेहान को गिरफ्तार करके जेल भेजा था जबकि गिरधारी ने दिल्ली पुलिस से सेटिंग कर खुद को अवैध असलहा समेत गिरफ्तार करा लिया था।