पिथौरागढ़ चंपावत जिलों में बुधवार को बारिश के चलते पहाड़ी से मलबा गिरने और भूस्खलन से राष्ट्रीय राजमार्ग समेत कई सड़कें बंद हो गईं। पिथौरागढ़-घाट एनएच पर 25 घंटे से अधिक समय तक एनएच पर आवाजाही ठप होने से सीमांत में पटरी से जन जीवन उतर गया। इस बीच सैकड़ों यात्री वाहन फंसे रहे। वहीं लिपुलेख एनएच 9 दिनों से बंद है। वहीं चंपावत में भारतोली के समीप चट्टान दरकने से करीब 500 मीटर हाईवे खाई में समा गया।
पिथौरागढ़ में बारिश के बीच घाट हाईवे मंगलवार रात से ही बंद रहा। एनएच को दूसरे दिन भी नहीं खोला जा सका है। मंगलवार रात 8 बजे चुपकोट बैंड पर पहाड़ी से भारी बोल्डर गिरने से एनएच बाधित हो गया। इससे सैकड़ों यात्री भूखे-प्यासे सड़क किनारे बैठे रहे। जनपद में घाट व लिपुलेख एनएच सहित 11 आतंरिक सड़कें बंद हैं। 10 से अधिक पैदल रास्ते मलबे से पटे गए हैं। जिससे सीमांत के लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं।
वहीं लिपुलेख सड़क 9 दिनों से बंद है। उधर चंपावत जिला आपदा कंट्रोल रूम के अनुसार बुधवार को घाट से लेकर टनकपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग में 19 स्थानों पर मलबा आ गया। एनएच को सबसे अधिक नुकसान बाराकोट के भारतोली में हुआ। यहां चट्टान दरकने से एनएच का करीब 500 मीटर हिस्सा पूरी तरह से तबाह हो गया। इस वजह से यहां पर आवाजाही बाधित हो गई।
घर पर पहुंचकर लगाया 110 किमी का फेरा
घर पर पहुंचने से 15 किमी पहले घाट एनएच के मंगलवार रात बंद हो जाने से कई यात्रियों को 110 किमी से अधिक का फेरा लगाना पड़ा। रात भर एनएच में फंसे लोग सुबह सड़क नहीं खुल पाने की जानकारी के बाद वाया बेरीनाग यहां लौटे। पांच घंटे से अधिक की यात्रा कर घर पहुंचे। वहीं टनकपुर एनएच के बंद रहने से हल्द्वानी जाने वाले यात्रियों को यहां से बुधवार को वाया सेराघाट रवाना होना पड़ा। जिस कारण उन्हें हल्द्वानी पहुंचने के लिए 86 किमी अतिरिक्त सफर करना पड़ा।
शवदाह वाहन व एंबुलेंस भी फंसी, कई पैदल ही लौटे
एनएच के बंद हो जाने से एंबुलेंस वाहन मंगलवार रात गुरना से वापस लौटी। बुधवार को शवदाह के लिए घाट तक पहुंचना भी लोगों के लिए मुश्किल हो गया। इसके बाद शवदाह के कई लोगों को पैदल ही रवाना होना पड़ा। एनएच के बंद रहने से सब्जी, राशन, गैस सिलेंडरों के साथ ही कई माल वाहन भी फंसे हुए हैं।