पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कुलभूषण जाधव को कंसुलर एक्सेस की सुविधा देने की भारत की मांग को शुक्रवार को एक बार फिर खारिज़ कर दिया है पाकिस्तान ने कहा कि इस समय कुलभूषण जाधव को कंसुलर एक्सेस की सुविधा देना उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लंबित है.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने मीडिया से कहा कि भारत ने जाधव के पासपोर्ट के बारे में पाकिस्तान के सवालों का अब तक जवाब नहीं दिया है, जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.
प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में है और ऐसे में कंसुलर एक्सेस का प्रश्न इस समय उपयुक्त नहीं है. भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 खत्म करने की मांग के मुददे पर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,अनुच्छेद को 370 को खत्म करना संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का उल्लंघन होगा. हम इसे किसी भी सूरतहाल में स्वीकार नहीं करेंगे और कश्मीरी भी इसे स्वीकार नहीं करेंगे.
मोहम्मद फैसल ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती पर पाकिस्तान नवंबर 2019 में करतारपुर गलियारे को चालू करने के लिए कटिबद्ध है. उन्होंने भारत को चेताया कि यदि गलियारा नहीं खुलता है तो भारत ही जिम्मेदार होगा. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि बैठकें होनी महत्वपूर्ण हैं ताकि करतारपुर से संबंधित सभी मुद्दों को हल किया जा सके.
सैद्दान्तिक रूप से हम इसे खोलने को तैयार हैं जैसे कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा की है लेकिन अब यदि भारत इस पर राजी होता है तभी यह संभव हो सकेगा.
इस पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान ने इन खबरों पर उसकी चिंता का अबतक जवाब नहीं दिया है कि पाकिस्तान ने उस समिति में कुछ विवादास्पद तत्व नियुक्त किये हैं जो करतारपुर गलियारे से संबद्धित है.
1963 के वियना समझौते में दो देशों के बीच कंसुलर संम्बंधों की व्याख्या की गई है. कंसुल कोई राजनयिक व्यक्ति नहीं होता. वह विदेश विभाग का प्रतिनिधि होता है. जो मेजबान देश में अपने देश के व्यक्ति के हित में काम करता है.
इसके आर्टिकल 36 के तहत अगर किसी विदेशी नागरिक को कोई देश अपनी सीमा के भीतर गिरफ्तार करता है तो बिना किसी देरी के संबंधित देश के दूतावास को इसकी सूचना देनी पड़ती है.