कोरोना काल की मार झेलने के बाद दीपावली परिवहन निगम के लिए काफी शुभ साबित हुई है। दीपावली के बाद निगम की आय में काफी सुधार आया है। अब परिवहन निगम प्रति दिन दो करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी कर रहा है। जिस तरह से अब सरकार ने कोविड के सारे प्रतिबंध हटा दिए हैं, उससे निगम की आय बरकरार रहने की संभावना है। इससे न केवल निगम अपने कर्मचारियों का वेतन और डीजल का खर्च निकाल पाएगा, बल्कि पुरानी देयताओं को भी धीरे-धीरे चुकाने में सक्षम हो सकेगा।
उत्तराखंड में पहले कोरोना के कारण लागू लाकडाउन और फिर इस वर्ष अप्रैल के बाद कोरोना की दूसरी लहर ने परिवहन निगम की आय पर खासा असर डाला। इससे निगम की आर्थिकी बुरी तरह प्रभावित हुई। स्थिति यह हुई कि निगम के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए वेतन तक की धनराशि नहीं थी। कोरोना काल के बाद जब हालात थोड़ा सुधरे तो निगम ने बस संचालन शुरु किया, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण निगम की आय में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं हुई।ऐसे में निगम को वेतन व अन्य खर्चों के लिए सरकार के सामने गुहार लगानी पड़ी। जब सरकार ने भी इसमें आनाकानी की तो निगम के कर्मचारी संगठनों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के सख्त रुख के बाद सरकार ने निगम कर्मियों का वेतन देने के लिए आर्थिक सहायता दी। अब जब हालात सुधरने लगे हैं तो निगम की आय में भी बढ़ोतरी होने लगी है। अक्टूबर में नवरात्रों के बाद निगम की आय में काफी उछाल आया। इस समय निगम तकरीबन दो करोड़ रुपये प्रतिदिन की कमाई कर रहा है, जो 60 करोड़ रुपये मासिक बनता है।
निगम के खर्चों पर नजर डालें तो निगम को हर माह 20 करोड़ रुपये कर्मचारियों के वेतन और तकरीबन 23 करोड़ रुपये डीजल व अन्य खर्चों के लिए चाहिए। इसके अलावा निगम पर अभी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी व अन्य लाभ की देयता तकरीबन 250 करोड़ रुपये है। वहीं निगम को नई बसें खरीदने के लिए नए डिपो भी स्थापित करने हैं। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम भी उत्तराखंड परिवहन निगम को 205 करोड़ रुपये देने पर सहमति जता चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब धीरे-धीरे निगम की आर्थिक पटरी पर आ जाएगी। परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन का कहना है कि निगम की आय यदि ऐसी ही होती रही तो धीरे-धीरे निगम को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।