आरोप के अनुसार जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके को पुलिस अधिकारियों ने 25 दिसंबर 1992 से दो जनवरी 1993 के दौरान अवैध हिरासत में रखा था और बाद में उनकी हत्या कर दी गई थी। पुलिस की कहानी के अनुसार काउंके उनकी हिरासत से भाग गए थे। बता दें कि काउंके उस समय श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार थे।
श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व कार्यवाहक जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके की कथित हत्या मामले में निष्पक्ष जांच और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार व तत्कालीन पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
गुरदेव सिंह काउंके के बेटे हरी सिंह सेखों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि याची के पिता को पुलिस अधिकारियों ने 25 दिसंबर, 1992 से 2 जनवरी 1993 के दौरान अवैध हिरासत में रखा था और बाद में उनकी हत्या कर दी गई। काउंके उस समय श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार थे और उस दौरान पंजाब में आतंकवाद का दौर था। पुलिस की कहानी के अनुसार काउंके उनकी हिरासत से भाग गए थे। हालांकि, ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि काउंके को पुलिस ने मुठभेड़ में मार डाला था।
यह है मामला
आरोप के अनुसार जगरांव के तत्कालीन एसएचओ ने 12 दिसंबर 1992 को काउंके को उनके घर से उठाया था लेकिन ग्रामीणों के आग्रह पर उसे तब छोड़ दिया, जब उसके सात दिन के पोते की मृत्यु हो गई थी। जत्थेदार को 25 दिसंबर, 1992 को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया और गांव के एक युवक की हत्या के आरोप में फंसा दिया गया। पुलिस ने तब दावा किया कि काउंके दो जनवरी 1993 को एक कांस्टेबल की बेल्ट तोड़ने के बाद हिरासत से भाग गए थे, जिसमें उसकी हथकड़ी लगी हुई थी।
सात जून 1998 को तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) बीपी तिवारी ने काउंके की कथित हत्या की जांच शुरू की और 1999 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। याची ने बताया कि न तो यह रिपोर्ट सार्वजनिक की गई और न ही इस पर कोई कार्रवाई की गई। हाईकोर्ट ने यह नोटिस गुरदेव सिंह काउंके के पुत्र हरी सिंह सेखों की ओर से दायर याचिका पर पूर्व एसएसपी स्वर्ण सिंह, पूर्व एसएचओ गुरमीत सिंह, पूर्व इंस्पेक्टर अजीत सिंह सहित पंजाब सरकार और अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।