बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद अब विपक्षी एकता की पहल बढ़ती नजर आ रही है। हालांकि नेतृत्व के मसले को अभी किनारे रखा गया है। अब खरगे ममता व अखिलेश सरीखे क्षत्रपों से बात करेंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से सोमवार को हुई मुलाकात के नतीजों से फिलहाल यह तय हो गया है कि व्यापक विपक्षी एकता की पहल आने वाले दिनों में आगे बढ़ेगी। बेशक विपक्षी एकता के ठोस स्वरूप की तस्वीर इन नेताओं की बैठक में अभी साफ नहीं हुई, मगर तृणमूल कांग्रेस और सपा दोनों दलों ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि कांग्रेस के विपक्षी एकजुटता की धुरी बनने से उन्हें कोई परहेज नहीं होगा। साथ ही विपक्षी खेमे के लिए एक सकारात्मक संकेत यह भी है कि फिलहाल विपक्षी एकता की गाड़ी नेतृत्व विवाद के गतिरोध में भी नहीं फंसेगी।
नीतीश कुमार ने संभाला जिम्मा
विपक्षी सियासत को एक मंच पर लाने के लिए कोलकाता और लखनऊ में सोमवार को शुरू हुई कसरत इस बार के मैदान में उतरने की वजह से ज्यादा गंभीर मानी जा रही है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से हुई चर्चाओं के बाद नीतीश ने ममता, अखिलेश, अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्री को विपक्षी एकता की छतरी में लाने का जिम्मा संभाला है। इन चारों क्षेत्रीय क्षत्रपों की कांग्रेस के साथ सियासी रस्साकसी रही है।
खरगे के यहां 19 पार्टियो ंकी हुई बैठक
पिछले महीने मानहानि के मुकदमे में सजा के आधार पर की लोकसभा सदस्यता खत्म किए जाने के बाद सपा, टीएमसी, आप और बीआरएस संसद में विपक्षी एकता का हिस्सा बने। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के यहां तब 19 पार्टियों की बैठक में संसद में हुई विपक्षी एकता को 2024 के चुनाव के लिहाज से जमीन पर उतारने की पहल शुरू करने पर सहमति बनी।
शिवसेना ने भी विपक्षी एकता का किया समर्थन
सावरकर मुद्दे पर नाराजगी के चलते इस बैठक से दूर रही शिवसेना उद्धव गुट ने भी 20वें दल के रूप में अगले दिन इसका समर्थन कर दिया था। खरगे ने इसके बाद ही नीतीश कुमार, एमके स्टालिन और उद्धव ठाकरे को फोन कर विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने की कसरत शुरू की। खरगे और राहुल गांधी के साथ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की पिछले दिनों हुई बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि से असहज रिश्ते रखने वाले विपक्षी खेमे के दलों को साथ लाने की पहल को बिहार के मुख्यमंत्री आगे बढाएंगे।
नीतीश ने कांग्रेस नेतृत्व से चर्चा के तत्काल बाद ही केजरीवाल से मुलाकात कर विपक्ष के एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने की रणनीति पर बातचीत की थी। केजरीवाल ने भी इस पर सकारात्मक रूख दिखाया और कांग्रेस को लेकर उनके रुख में हाल के दिनों में आई नरमी इसी ओर इशारा करती है।
कांग्रेस की केंद्रीय भूमिका से टीएमसी व सपा को परहेज नहीं
नीतीश से हुई चर्चाओं के बाद ममता और अखिलेश ने जिस तरह भाजपा के खिलाफ संपूर्ण विपक्ष को मजबूत करने की जरूरत खुले तौर पर स्वीकार की उससे साफ है कि इस दिशा में कांग्रेस की केंद्रीय भूमिका से दोनों को परहेज नहीं है। खास बात यह है कि इन दोनों क्षेत्रीय क्षत्रपों ने विपक्षी नेतृत्व का सवाल नहीं उठाया है। इसका संकेत साफ है कि कांग्रेस और नीतीश कुमार की संयुक्त रणनीति से विपक्ष को एकजुट करने की शुरू हुई कवायद में विपक्षी नेतृत्व की कमान के सवाल को अभी किनारे रखा जाएगा।
विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व को लेकर बाद में होगी चर्चा
अखिलेश और ममता की नीतीश के साथ हुई मुलाकातों को विपक्षी एकता की दिशा में महत्वपूर्ण चर्चा की शुरूआत बताते हुए कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि बेशक भाजपा से लड़ने वाली सभी पार्टियों के लिए सबसे अहम यह है कि साथ आकर मजबूत चुनौती पेश करने का संदेश दिया जाए। इसमें विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा, यह सवाल अभी कहीं नहीं आता और ममता-अखिलेश समेत सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों को मालूम है कि विपक्षी एकता की पहल आगे बढ़ाने के लिए ऐसे मुद्दों में उलझने की जरूरत नहीं, जिनकी अभी प्रासंगिकता नहीं है।
वैसे कांग्रेस ने रायपुर महाधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर भाजपा के खिलाफ 2024 में व्यापक विपक्षी एकता के लिए कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार होने की घोषणा कर विपक्षी नेतृत्व के सवाल को खुला छोड़े रखने का संदेश पहले ही दे दिया था।
ममता, केजरीवाल और अखिलेश से संवाद करेंगे खरगे
कांग्रेस सूत्रों ने यह संकेत दिया कि नीतीश की इस पहल के साथ ही खरगे भी कर्नाटक चुनाव के बाद अपनी कोशिशों को आगे बढाएंगे और ममता बनर्जी, केजरीवाल, अखिलेश से लेकर केसीआर तक से संवाद करेंगे। विपक्ष के शीर्षस्थ नेताओं की बैठक कर्नाटक चुनाव के बाद बुलाए जाने की कोशिश होगी ताकि विपक्षी एकता की पहल ठोस दिशा में आगे बढ़ाई जा सके।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद होगी विपक्षी दलों की बैठक
उधर, पीटीआई के अनुसार, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए करीब 19 दलों के शीर्ष विपक्षी नेताओं की बैठक होगी। कांग्रेस सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। इन नेताओं को पहले अप्रैल के अंत तक मिलना था। सूत्रों ने कहा कि 10 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के कारण बैठक में देरी हुई है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अगले महीने किसी समय बैठक की मेजबानी करने की संभावना है और इस संबंध में वह पहले ही कई अन्य पार्टियों के नेताओं से बात कर चुके हैं।