‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर-तेरा साथ छोड़ेंगे।’ शहर के दो दोस्तों रघुनाथ महाराज मथुरा सिंह ने शोले फिल्म के इस गाने को चरितार्थ किया है। दोनों ने 70 साल पूर्व मुजफ्फरपुर शहर के छोटी सरैयागंज में एक होटल शुरू किया था।अस्पताल में भर्ती दिलीप कुमार की हालत हुई और नाजुक, वेंटिलेटर पर…
अब यह होटल शहर के नामी-गिरामी होटलों में शुमार है। इनकी दोस्ती भरोसे ने अलग पहचान बनाई है। अब दोनों के पुत्र भी अपने-अपने पिता की दोस्ती को उसी अंदाज में निभा रहे हैं।
रघुनाथ महाराज का शुरुआती दिनों में रोटी-सब्जी का बिजनेस था। इसी दौरान मथुरा सिंह से उनका परिचय हुआ। कुछ ही दिनों में दोनों की पहचान एक ऐसी दोस्ती में बदल गई, जो दूसरी पीढ़ी भी निभा रही है। रघुनाथ महाराज मथुरा सिंह ने कुछ करने की ठानी और बातों-बातों में भारत जलपान नामक दुकान खोली।
मथुरा सिंह के पास समय की कमी थी। इस वजह से रघुनाथ महाराज पर ही दुकान की पूरी जिम्मेदारी थी। रघुनाथ महाराज की महाराजा स्वीट्स की उस समय दुकान थी। वे उसी दुकान की देखरेख करते थे। दोनों दोस्तों का एक-दूसरे पर भरोसा बढ़ता गया और दुकान दिन-प्रतिदिन मुकाम हासिल करता गया।
दोनों की दोस्ती शहर से लेकर गांव तक चर्चा का विषय बन गई। दुकान में कस्टमर की लाइनें लगने लगीं। धीरे-धीरे तरक्की होने लगी। अब रघुनाथ महाराज के एक मथुरा सिंह के 4 पुत्र हैं।
दोनों लोगों के बेटे अब भी दोनों दुकानों को संभाल रहे हैं। अभी मंगलेश्वर शर्मा और संजीव कुमार भारत जलपान महाराजा स्वीट को संभाल रहे हैं। मंगलेश्वर शर्मा ने बताया वे और संजीव दादाजी की दोस्ती को आगे भी निभाते रहेंगे।