कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब मुद्दा अब पूरे देश में फैल गया है. देश भर में विवादित बयानों की झड़ी लग गई है. सियासी और धार्मिक नेताओं के दखल के चलते हिजाब पर हंगामा बढ़ता जा रहा है. दरअसल पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद का एक मामला सामने आया है जहां हेडमास्टर ने स्कूल में मुस्लिम बच्चियों को हिजाब और बुरका पहन कर आने से रोका. इस दौरान स्कूल में तोड़फोड़ भी की गई.
इस वक्त जब पूरे देश को करोना के कारण खराब हुई आर्थिक स्थिति बेरोजगारी, गरीबी जैसी तमाम समस्याओं से निपटने पर बात करनी चाहिए. उस वक्त देश के अलग अलग राज्यों से हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं. कल यानी शनिवार को बिहार के सहरसा में भी हिजाब के समर्थन में मुस्लिम महिलाओं ने प्रदर्शन किया. वहीं राजस्थान के जयपुर में मुस्लिम महिलाएं हिजाब के समर्थन में सड़कों पर उतर आईं. इसके अलावा पंजाब में इसी मुद्दे पर महिलाओं ने रैली निकाली.
हिजाब पहनने से रोकने वालों की हाथ काटने की धमकी
इसी बीच कई राज्यों से हिजाब प्रदर्शन में हंगामा और तोड़फोड़ की घटना सामने आई है. हंगामे की आग में नेताओं के विवादित बयान घी की तरह काम कर रहे हैं. नेताओं के बयानों से आम जनता की भावनाएं भड़काई जा रही हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की नेता रूबीना खान ने अपने एक बयान में हिजाब पहनने से रोकने वालों की हाथ काटने की धमकी दी थी जब सफाई मांगी तो उन्होंने अपने विवादित बयान को ठीक बताया.
11 फरवरी को मालेगांव में हिजाब डे मनाया गया
वहीं धार्मिक नेताओं के बयान भी मामले को और भड़का रहे हैं. 11 फरवरी को मालेगांव में हिजाब डे मनाया गया. मुस्लिम धर्मगुरू भी हिजाब के समर्थन में डटे नजर आ रहे थे. इस बीच बीजेपी की तरफ से हिजाब के मुद्दे को उठाकर समान नागरिक संहिता की चर्चा तेज हो गई है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने समान नागरिक संहिता की बात की जिसका समर्थन फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने किया. लेकिन सवाल जस का तस है. नेता हों या धर्म गुरु ये शिक्षा की बात क्यों नहीं करते, ये रोजगार की बात क्यों नहीं करते. युवाओं को पढ़ाने और बढ़ाने की जगह हिजाब जैसे मुद्दों पर हंगामा क्यों खड़ा किया जा रहा है.