कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में मरने वालों की संख्या शनिवार को 30 लाख से ज्यादा हो गई. भारत, ब्राजील और फ्रांस जैसे देशों में कोरोना वायरस का संकट बढ़ता जा रहा है और पूरी दुनिया में टीकाकरण में बाधाएं आ रही हैं.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना से मरने वालों की यह संख्या कीव (यूक्रेन), कारकास( वेनेज़ुएला) या मेट्रोपॉलिटन सिटी लिस्बन (पुर्तगाल) की जनसंख्या के बराबर है. यह संख्या शिकागो (27 लाख) से ज्यादा और फिलाडेल्फिया और डलास की कुल आबादी के बराबर है. वायरस से मरने वालों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है क्योंकि इस बात की भी संभावना है कि सरकारों ने आंकड़े छिपाए हों या 2019 के अंत में वुहान में वायरस के शुरुआती चरण में कई मामले छिपाए गए हों.
वायरस से निपटने के लिए अलग-अलग रणनीति अपना रहे विभिन्न देश
दुनिया भर में वायरस के संक्रमण की स्पीड और इसे कंट्रोल करने के तरीके सभी देशों में अलग-अलग हैं. अमेरिका और ब्रिटेन लोगों का जीवन बचाने के लिए टीकाकरण अभियान को तेज किया जबकि फ्रांस और भारत टीकाकरण में पीछे हैं और लॉकडाउन और विभिन्न प्रतिबंध लगा रहे हैं.
दुनियाभर में प्रति दिन औसतन 12,000 मौतें
वायरस से दुनियाभर में प्रति दिन औसतन 12,000 मौतें हो रही हैं और 7,00,000 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं. अकेले अमेरिका में 5,60,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं. दुनिया में कोविड-19 से हुई 6 मौतों में से 1 अमेरिका में हुई. अमेरिका के बाद ब्राजील, मैक्सिको, भारत और ब्रिटेन में सबसे ज्यादा मौत हुई हैं.
अमेरिका ने इसी महीने जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड-19 वैक्सीन के उपयोग पर अस्थाई रोक लगाई और इससे खून थक्के बनने की जांच की जा रही है. कुछ यूरोपीय देश ने इस पर रोक लगाई है. खून का थक्का बनने की खबरों के बाद कुछ देशों में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई.
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