हालांकि, चीन की सरकार ने निवेशकों को चेताया है कि वे क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से दूर रहें. चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) ने क्रिप्टोकरेंसीज के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए किसी भी प्रकार की पेमेंट में इनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
चीन ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी में काफी तेज उछाल और बड़ी गिरावट आने और स्पेकुलेशन ट्रेडिंग होने के कारण देश की इकोनॉमी को नुकसान हो रहा है. चीन के इस कदम से बिटक्वाइन की कीमतें 64,000 डॉलर से लुढ़ककर 37,000 डॉलर पर आ गई है. लेकिन सवाल यह उठता है कि दुनिया का सबसे बड़ा बिटक्वाइन (Bitcoin) माइनिंग हब होने के बावजूद चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा क्यों कसा है?
इस वजह से कसा शिकंजा
दरअसल, इनर मंगोलियन ऑटोनोमस रीजन ने कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग को रोकने के लिए एक अभियान चलाया है. चीन का तो पहले से ही Cryptocurrencies पर निगेटिव रुख था. सबसे पहले 2014 में ही चीन ने बिटक्वाइन से लेनदेन पर रोक लगा दिया था.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर अल्टरनेटिव फाइनेंस (CAF) की स्टडी के मुताबिक, चीन में जो बिटक्वाइन की माइनिंग हो रहा थी, उससे वर्ष 2019 में पूरे अर्जेंटीना में जितनी बिजली खपत हुई, उससे अधिक बिजली की खपत चीन में बिटक्वाइन माइनिंग में हुई.
इसके अलावा पिछले महीने एक शोध में कहा गया कि वर्ष 2024 तक चीन में बिटक्वाइन माइनिंग में जितनी बिजली की खपत होगी, वह पूरे इटली के पावर कंजम्पशन से अधिक होगा. इसके अलावा चीन का बिटक्वाइन माइनिंग से कार्बन एमिशन स्पेन और नीदरलैंड्स द्वारा किए जाने वाले कार्बन उत्सर्जन से अधिक होगा. इसे देखते हुए चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया है.
ये पाबंदियां लगाई गईं
चीन की तरफ से लगाई गई पाबंदियों के तहत बैंक, ऑनलाइन पेमेंट्स चैनल्स जैसे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ऐसी कोई सर्विस नहीं देंगे जिसमें क्रिप्टोकरेंसी जुड़ी होगी. इस तरह की सर्विस में रजिस्ट्रेशन, ट्रेडिंग, क्लीयरिंग और सेटलमेंट शामिल हैं.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal