झारखंड में सियासी संकट ऊहापोह के बीच राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। उनका यह दिल्ली दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब एक दिन पहले ही यूपीए विधायकों ने उनसे चुनाव आयोग के फैसले पर सस्पेंस खत्म करने का अनुरोध किया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 10 वरिष्ठ नेता और विधायक गुरुवार को राज्यपाल से मिले और उन्हें लेटर सौंपा था। गुरुवार को ही सोरेन सरकार ने झारखंड विधानसभा का एक दिवसीय सत्र पांच सितंबर को बुलाने का फैसला लिया है। इसमें सरकार विश्वास मत प्रस्ताव पेश कर सकती है।

राज्यपाल ने यूपीए प्रतिनिधिमंडल को दिया आश्वासन
मुख्यमंत्री की सदस्यता को लेकर निर्वाचन आयोग के मंतव्य पर राजभवन जल्द कार्रवाई करेगा। यह आश्वासन राज्यपाल रमेश बैस ने गुरुवार को यूपीए के एक प्रतिनिधिमंडल को दिया। यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले’ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता पर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्राप्त मंतव्य के संदर्भ में चर्चा की। यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने इस संदर्भ में राज्यपाल से शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया।
राजभवन से अफवाह प्रसारित होन से गया गलत संदेश
महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल की ओर से राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि राजभवन संवैधानिक कार्यालय है और जनता की नजरों में इसके प्रति अत्यंत सम्मान रहता है। ऐसे में राजभवन से झूठी अफवाह का प्रसारित होना राज्य में अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा कर राज्य के प्रशासन और शासन को प्रभावित कर रहा है। यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को भी प्रोत्साहित करता है। इस पर विराम लगे।
राज्यपाल से मांग
– राज्यपाल का आदेश सार्वजनिक होना है, पर भाजपा मध्यावधि चुनाव, सीएम के इस्तीफे की अवांछित मांग कर रही, रोक लगे
– चुनाव आयोग से यदि मंतव्य प्राप्त हुआ है तो इसे जल्द सार्वजनिक करके लोकतंत्र के उद्देश्य को पूरा किया जाए
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