आयोग ने पाया कि उपभोक्ता ने राशि का भुगतान कर दिया था ऐसे में एयरटेल का रवैया गैरजिम्मेदाराना रहा है।
दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एयरटेल पर एक ग्राहक को फोन कॉल करके परेशान करने और बकाया राशि का भुगतान न किए जाने पर उसकी सेवाएं काट देने के लिए लगाए गए पांच लाख के जुर्माने को बरकरार रखा है। आयोग ने पाया कि उपभोक्ता ने राशि का भुगतान कर दिया था ऐसे में एयरटेल का रवैया गैरजिम्मेदाराना रहा है।
राज्य आयोग की अध्यक्ष डॉ. न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल और न्यायिक सदस्य पिंकी की एक समिति ने पाया कि एयरटेल न केवल अपनी सेवाएं प्रदान करने में लापरवाह है, बल्कि उसने अपने पद का इस्तेमाल अपने ग्राहक को परेशान करने के लिए भी किया था।
समिति ने 4 सितंबर, 2014 को जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा एयरटेल पर सेवा में कमी के लिए लगाए गए जुर्माने को बरकरार रखा है। समिति ने कहा, अपीलकर्ता एयरटेल उपभोक्ता को पर्याप्त सेवा प्रदान करने में विफल रहा। उपभोक्ता ने एयरटेल से इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाएं खरीदी थीं। मार्च 2013 में उसने ने इन सेवाओं के लिए देय 4,995 की राशि का भुगतान करने के लिए एक चेक सौंपा।
एयरटेल ने दावा किया कि पर्याप्त धनराशि की कमी के कारण यह चेक बाउंस हो गया और इस मुद्दे पर ग्राहक को लगातार कॉल करना शुरू कर दिया। उपभोक्ता ने एयरटेल के प्रतिनिधियों से बैंक के साथ स्थिति की फिर से जांच करने को कहा और बाद में बैंक स्टेटमेंट के माध्यम से भी पुष्टि की कि राशि एयरटेल के खाते में जमा हो गई थी।