नई दिल्ली, दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका को गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया है। दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामा में राकेश अस्थाना ने कहा कि उनके खिलाफ लगातार मीडिया प्लेटफार्म पर अभियान चल रहा है, जो कि बदले की भावना से उत्पन्न हुई है। राकेश अस्थाना ने कहा कि जब से उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) का विशेष निदेशक नियुक्त किया गया है, तब से कुछ संगठनों द्वारा उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कामन काज और सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन नाम के दो संगठन हैं जो पेशेवर जनहित याचिकाकर्ता हैं। हलफनामा में उन्होंने कहा कि एक या दो व्यक्तियों का इन संगठनों पर व्यापक नियंत्रण है और कुछ प्रतिशोध से या किसी व्यक्ति के इशारे पर उनके खिलाफ अभियान चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत प्रतिशोध या छद्म युद्ध को जनहित याचिका के तहत पेश किया गया है और अदालत इस तरह की गतिविधि को अपने मंच का उपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकती है।
बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दाखिल करके अस्थाना की नियुक्ति का बचाव किया था। केंद्र सरकार ने कहा था कि सार्वजनिक हित व राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर अंतरराष्ट्रीय-सीमा प्रभाव के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी के सामने आने वाली विविध कानून-व्यवस्था की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अस्थाना की पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति की गई है।
केंद्र ने कहा था कि राकेश अस्थाना के नाम पर विचार की वजह यह थी कि देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली सार्वजनिक कानून-व्यवस्था की स्थिति, पुलिस के विविध मुद्दों और अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रही है। केंद्र ने कहा था कि सभी नियमों व विनियमों का ईमानदारी से पालन करने के बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में अस्थाना की नियुक्ति की गई है, ऐसे में इसमें कोई दोष नहीं है।
याचिकाकर्ता सदरे आलम और गैर सरकारी संगठन सेंटर फार पब्लिक इंट्रेस्ट (सीपीआइएल) ने अस्थाना की नियुक्ति से जुड़े 27 जुलाई के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद करने की मांग की है।