‘संडे हो या मंडे रोज़ खाओ अंडे’ ये लाइन अक्सर आपने सुनी होगी। कई लोगों ने अंडे खाने के फायदे और नुकसान भी आपको बताए होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि अच्छी सेहत के लिए एक दिन में कितने अंडे खाने चाहिए और इन्हें पकाने का सही तरीका क्या है?
चीन में करीब 10 लाख लोगों पर की गई एक स्टडी बताती है कि दिन में एक अंडा खाने से दिल की बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। विशेषज्ञ अच्छी सेहत के लिए अंडे खाने की सलाह देते हैं। लेकिन ये भी कहते हैं कि ज्यादा अंडे खाना नुकसानदेह हो सकता है।
कितने अंडे खाएं?
ज्यादातर डॉक्टर अपने खाने में अंडों को शामिल करने की सलाह देते हैं क्योंकि अंडे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन ए, डी, बी और बी12 के अलावा लूटीन और जीएजेनथीन जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये तत्व आंखों के लिए काफी फायदेमंद हैं। ब्रिटेन के डाइटीशियन डॉ फ्रेंकी फिलिप्स का कहना है कि, “एक दिन में एक या दो अंडे खाए जा सकते हैं।”
वो ये कहते हैं कि ज्यादा अंडे खाने में भी कोई डर की बात नहीं है, लेकिन ये बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि कोई भी फूड अगर बहुत ज्यादा खाया जाता है तो हमें उन दूसरे खानों के पोषक तत्व नहीं मिलेंगे जिन्हें हम नहीं खा पा रहे।
इसलिए डाइटीशियन अक्सर बैलेंस डाइट लेने पर जोर देते हैं। “अंडे प्रोटीन का अच्छा जरिया हैं लेकिन हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि हम खाने में काफी प्रोटीन पहले से लेते हैं। जरूरत से दो या तीन गुना ज्यादा प्रोटीन किडनी पर बुरा असर डाल सकता है।” अंडों में जब कॉलेस्ट्रॉल होने के सबूत मिले तो ब्रिटिश हार्ट फॉउंडेशन ने 2007 में एक हफ्ते में तीन अंडे ही खाने की सलाह दी थी।
कॉलेस्ट्रॉल
नेशनल हेल्थ सर्विस की हालिया सलाह के मुताबिक, “हालांकि अंडों में कुछ कॉलेस्ट्रॉल होता है, लेकिन उसकी मात्रा हमारे खून में सेचुरेटेड वसा से आए कॉलेस्ट्रॉल से कम होती है।” दूसरे शब्दों में कहें तो अंडों का कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है। बल्कि सेचुरेटेड फैट से बना कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा बड़ी मुसीबत है।
हार्ट यूके के मुताबिक एक अंडे में करीब 4.6 ग्राम यानी एक चम्मच वसा होता है, लेकिन इसका सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही सेचुरेटेड होता है। यानी देखा जाए तो अंडे की वजह से हमारे शरीर के कॉलेस्ट्रॉल लेवल पर ज्यादा असर नहीं पड़ता। हां अगर उस अंडे में मक्खन या क्रीम मिला दी जाए तो मामला कुछ और हो जाता है।
साल्मोनेला बेक्टेरिया
ब्रिटेन की पूर्व हेल्थ मिनिस्टर एडविना कुरी ने दिसंबर 1988 में कहा था कि ब्रिटेन में प्रोड्यूस होने वाले ज्यादातर अंडों में साल्मोनेला बेक्टेरिया होता है। इस बेक्टेरिया को सेहत के लिए खतरनाक बताया जाता है। इसलिए उनके इस बयान से ब्रिटेन में हड़कंप मच गया था। जिसके बाद एडविना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि उस वक्त अंडों में साल्मोनेला की कुछ समस्या जरूर थी। 1990 तक अंडों का उत्पादन करने वालों ने एक वेक्सिनेशन प्रोग्राम शुरू कर दिया था।
अब तीस साल बाद ब्रिटेन के अंडे दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं कम से कम सोल्मोनेला के मामले में तो जरूर ही। वहां मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर अंडो पर अब लॉयन मार्क लगा होता है, जो ये बताता है कि जिस मुर्गी ने ये अंडा दिया है उसे सोल्मोनेला से बचने का इंजेक्शन दिया गया था। पिछले साल ही लॉयन मार्क वाले अंडों को गर्भवति महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित घोषित कर दिया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि अब अंडों में खतरनाक बेक्टेरिया का खतरा बहुत ही कम है। “इसलिए डरने की कोई बात नहीं।”
अंडों को किस तरह पकाएं?
अंडों को स्टोर कैसे करें?
कभी भी टूटे हुए या क्रेक अंडे ना खरीदें। क्योंकि ऐसे में उनमें मिट्टी या बेक्टेरिया जाने का खतरा रहता है। बीबीसी गुड फूड की सलाह है कि अंडों को फ्रिज में ढककर रखना चाहिए। अंडों के सफेद हिस्से को डब्बे में डालकर तीन हफ्तों तक फ्रिज में स्टोर करके रखा जा सकता है, जबकि उसके पीले हिस्से को तीन दिनों तक रखा जा सकता है।
दोनों को चिपटने वाली फिल्म से ढककर रखना चाहिए। दोनों को फ्रीज़ करके दो महीने तक रखा जा सकता है। अंडा फ्रेश है या नहीं ये चेक करने की ट्रिक भी कई लोगों को पता होगी। ठंडे पानी का एक कटोरा लीजिए। उसमें अंडे को डालिए। अगर अंडा डूब जाता है तो वो फ्रेश है। अगर नहीं डूबता तो वो कम फ्रेश है। मुर्गी के अंडे देने के दिन से 28 दिन तक वो सही रहते हैं। इसी के साथ ही उस जगह का भी साफ होना जरूरी है जहां अंडे बनाए जा रहे हैं।
अंडों से एलर्जी?
कई लोगों को अंडों से एलर्जी भी होती है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को ये शिकायत ज्यादा होती है।
अंडो से एलर्जी के कुछ लक्षण:
मुंह के आस-पास लाल होना और सुजन आना
पेट में दर्द
उल्टी आना
दस्त होना
लेकिन कम ही ऐसा होता है कि ये रिएक्शन जानलेवा साबित हो. लेकिन एलर्जी होने पर हमेशा डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
आखिर में डॉ फिलिप्स कहते हैं, “जिसे ऐसी कोई एलर्जी नहीं है। वो किसी भी रूप में अंडे को खा सकते हैं, लेकिन अंडे को कैसे बनाया जा रहा है इसे ध्यान में रखना जरूरी है।