आप सभी जानते ही होंगे कि मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को प्रभु श्री राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। हालाँकि आज के समय में इस तिथि पर विवाह करने को कोई तैयार नहीं होता। जी हाँ, लेकिन ऐसा क्यों यह आप जानते हैं? शायद नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं ऐसा क्यों? पहले तो हम आपको बता दें कि इस दिन को शादी पंचमी बोला जाता हैं। कहते हैं प्रभु श्री राम चेतना तथा माता सीता प्रकृति शक्ति के प्रतीक हैं। इस वजह से चेतना एवं प्रकृति का मिलन होने से यह दिन बहुत अहम हो जाता है। वहीं इस दिन प्रभु श्री राम तथा माता-सीता की शादी करवाना बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन अब सवाल यह है कि इस दिन विवाह से क्यों डरते हैं लोग?
जी दरअसल कई स्थानों पर इस तिथि को विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है। वहीं मिथिलाचंल तथा नेपाल में इस दिन लोग कन्याओं की विवाह करने से बचते हैं। जी दरअसल लोगों में ऐसी मान्यताएं हैं कि शादी के पश्चात् ही भगवान श्रीराम तथा माता सीता दोनों को बड़े दुखों का सामना करना पड़ा था। इस वजह से लोग शादी पंचमी के दिन शादी करना उत्तम नहीं मानते हैं।
आप सभी जानते ही होंगे प्रभु श्रीराम तथा माता सीता के विवाह होने के पश्चात् दोनों को 14 साल का वनवास भोगना पड़ा। वहीं वनवास काल के चलते भी कठिनाइयों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। इस दौरान लंकापति रावण पर विजय हासिल कर जब दोनों अयोध्या लौटे तब भी दोनों को एकसाथ रहने का सौभाग्य नहीं मिल पाया। बस यही वजह है कि लोग इस तिथि को शादी की शुभ वेला नहीं मानते हैं।