मानव जीवन का सृजन करने के लिए ईश्वर ने नारी का निर्माण किया. जब नारी अपनी शक्ति का प्रयोग करके जीवन का सृजन करती है तो उसे माँ कहा जाता है. इस सृष्टि में सबसे ज्यादा पवित्र और करुणामयी सत्ता माँ ही है. इसीलिए भक्त भी ईश्वर को माँ के रूप में पुकारते हैं. ऐसा करने से उन्हें ईश्वर की निकटता का जल्द अनुभव होता है और माँ रूपी ईश्वर का लगातार दुलार मिलता रहता है.
ज्योतिष में माँ का सम्बन्ध किन ग्रहों और राशियों से होता है?
– ज्योतिष में चन्द्रमा को माँ का कारक मानते हैं
– कुछ अंशों में शुक्र का सम्बन्ध भी वात्सल्य से होता है
– कर्क राशि और चतुर्थ भाव का सम्बन्ध भी माँ से होता है
– चतुर्थ भाव के स्वामी ग्रह और चन्द्रमा को मिलाकर माँ की स्थिति देख सकते हैं
– वैसे चन्द्रमा से काफी हद तक माँ की स्थिति जान सकते हैं
माँ का सम्मान न करने से और माँ के साथ सम्बन्ध ठीक न रखने के क्या परिणाम होते हैं ?
– व्यक्ति को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है
– किसी न किसी कारण से जीवन में उलझन बानी रहती है
– व्यक्ति को मानसिक रोग या अवसाद होने की होती है
– यात्राओं में व्यक्ति को समस्या होती है
– व्यक्ति को जीवन में कभी भी स्थिरता नहीं मिलती
माँ का सम्मान करने से क्या क्या लाभ होते हैं ?
– चन्द्रमा सरलता से मजबूत हो जाता है
– व्यक्ति की बीमारियों में शीघ्र लाभ होता है
– व्यक्ति का मन प्रसन्न रहता है
– जीवन सामान्यतः आराम से कट जाता है
– संतान पक्ष की हर समस्या का हल निकल जाता है
अगर चन्द्रमा के ख़राब होने की वजह से माँ को कष्ट हो रहा हो तो क्या उपाय करें ?
– सोमवार के दिन सफ़ेद वस्त्रों में शिव जी की पूजा करें
– जहाँ तक हो सके इस दिन अधिक से अधिक “नमः शिवाय”का जप करें
– सोमवार को ही निर्धनों में सफ़ेद मिठाई या खीर बाँटें
– मोती सोच समझकर ही पहनें
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