हिंदी पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा समापन के बाद पौष माह की शुरुआत होती है। इस प्रकार 20 दिसंबर से पौष माह पड़ने वाला है। शास्त्रों में पौष माह की महत्ता को विस्तार से बताया गया है। इस माह में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। साथ ही ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए भी पौष यानी दिसंबर महीना बेहद खास होता है। इस महीने में क्रिसमस और बड़ा दिन मनाया जाता है। ईसाई धर्मगुरुओं की मानें तो क्रिसमस के दिन भगवान यीशु का जन्म हुआ है। अतः यह पर्व दुनियाभर में एक साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर ईसाई धर्मगुरु पोप दुनियाभर को संबोधित करते हैं। आइए, इस माह के प्रमुख व्रत और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं-
पौष माह के प्रमुख त्योहार इस प्रकार हैं
-22 दिसंबर को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है।
-25 दिसंबर को बड़ा दिन और क्रिसमस है।
-26 दिसंबर को कालाष्टमी है।
-27 दिसंबर को मंडल पूजा है।
-30 दिसंबर को सफला एकादशी है।
-31 दिसंबर को प्रदोष व्रत है।
-1 जनवरी को नववर्ष है।
-2 जनवरी को दर्श अमावस्या है।
-6 जनवरी को विनायक चतुर्थी है।
-9 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जयंती है।
-12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती है।
-13 जनवरी को वैकुंठ एकादशी या पौष पुत्रदा एकादशी है।
-13 जनवरी को लोहड़ी है।
-14 जनवरी को मकर संक्रांति है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है।
-17 जनवरी को पौष पूर्णिमा है।
पौष माह का धार्मिक महत्व
पवित्र गीता में भगवान श्रीकृष्ण जी कहते हैं कि जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण में, दिन के उजाले में, शुक्ल पक्ष में अपने प्राण त्यागता है, वह मृत्यु भवन में लौट कर नहीं आता है। महाभारत युद्ध में जब अर्जुन की बाणों से भीष्म पितामह पूरी तरह घायल हो गए। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। कालांतर में भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया। जब सूर्य उत्तरायण हुआ, तो इच्छा मृत्यु प्राप्त भीष्म पितामह ने श्रीकृष्ण की वंदना कर अंतिम सांस ली। ऐसा माना जाता है कि इस वजह से भीष्म पितामह को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। अत: सनातन धर्म में पौष माह का विशेष महत्व है।