जलवायु परिवर्तन से इस छोटे से जीव की जान खतरें में, घटती संख्या से पहुंचा विलुप्ति के कगार पर

ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले लुप्त होने कगार पर पहुंचने वाला पिग्मी पॉसम पर भी जलवायु परिपर्तन का असर हो रहा है। अल्पाइन की पहाड़ियों पर पाए जाने वाले इन छोटे स्तनधारी जीवों की आबादी करीब करीब घट रही है। रिसर्चर का अनुमान है कि पिग्मी को पहाड़ों से ठंडे तराई वाले इलाके में लाकर इन्हें ख़तम होने से बचा सकते है। पिग्मी मारसूपियस परिवार एक छोटा स्तनधारी जीव होता है, जो चूहों की तरह दिखता है। 5 से 12 सेमी की लम्बाई वाले इस जीव का वजन 10 से 50 ग्राम के बीच ही होता है। इन्हें सर्वहारी माना जाता है।यह फल और बीजों पर ही निर्भर रहते हैं। इनकी प्रजाति ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ न्यू पापुआ गिनी और इंडोनेशिया में भी पाया जाता है|

सूत्रों के मुताबिक, अभी तो ये छोटे स्तनधारी अल्पाई क्षेत्रों में रहते हैं, लेकिन लगभग 2500 पिग्मी अभी भी जंगलों में ही रहते हैं। बदलते मौसम की मार पड़ने से अब इनकी प्रजाति खतरे में हैं। ये बर्फीले इलाकों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। पिग्मी चट्टानों के भीतर बिल बनाकर रहते हैं। सर्दियों और बर्फ पड़ने पर आराम करने के लिए यह सबसे अच्छी और सुरक्षित जगह मानी जाती है, क्योंकि बाहर के तापमान का प्रभाव चट्टानों के भीतर कम पड़ता है और पिग्मी पूरे सर्दी के मौसम में सोते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में ठंडी हवाओं ने इन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया गया है, क्योंकि हवाएं इनके बिलों में भी प्रवेश कर सकती हैं और तापमान गिर जाने के वजह से कई बार ये जीव नींद में ही मर जाते हैं। बेट्स ने कहा, ‘बिल के भीतर का तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर वे हाइबरनेशन से जाग सकते हैं और उनकी मौत हो सकती है। यदि लगातार दो सर्दियों तक मौसम खराब रहता है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि उनकी पूरी आबादी खतरे में पड़ सकती है।’

विलुप्त होने से बचाए जा सकते हैं- यूएएसडब्ल्यू के वैज्ञानिकों ने इनकी आबादी को बचाये रखने के लिए तराई क्षेत्रों में एक कृत्रिम बिल तैयार किए गए है, यहाँ ये जीव जिंदा रह सकते है। इसके लिए उन्होंने 25 पिग्मी की एक कॉलोनी बनाई और दो सालो तक उनका अध्ययन किया। इसके जरिये रिसर्चरों ने पाया कि अगर तराई क्षेत्रों में भी इनके रहने का उचित प्रबंध किया जाए तो इन्हें गायब होने से बचाया जा सकता है।

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