बसपा शासनकाल में सहकारी चीनी मिलों को बेचने की जांच के बहाने मायावती को घेरने की तैयारी शुरू हो गई है। सीबीआई जल्द ही 2007 से 2011 के बीच हुए 21 चीनी मिलों के सौदों की जांच शुरू कर सकती है। इस मामले में राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार मंथन कर रही है। प्रदेश सरकार ने पिछले महीने चीनी मिल बिक्री घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। हालांकि, केंद्र ने अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष कंपनी मामलों के मंत्रालय के सीरियस फ्राड इन्वेस्टीगेशन ऑफिस ने सहारनपुर के खनन कारोबारी मो. इकबाल द्वारा कौड़ियों में खरीदी गई चीनी मिलों की जांच की थी।
उप्र राज्य चीनी निगम की सात मिलें कौड़ियों के दाम खरीदने वाली कंपनियां जांच में फर्जी निकलीं। रिपोर्ट मिलने के बाद निगम के प्रधान प्रबंधक एसके मेहरा ने गोमतीनगर थाने में फर्जी कंपनियों के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कराया था।
दरअसल, उप्र राज्य चीनी निगम के अधीन 10 चालू व 11 बंद चीनी मिलों की बिक्री 2010-11 में की गई थी। इसमें देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज और हरदोई स्थित इकाई खरीदने के लिए दिल्ली की नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और रामकोला, छितौनी व बाराबंकी की इकाई खरीदने के लिए गिरियाशों कंपनी ने दावा प्रस्तुत किया था।
दोनों कंपनियों के निदेशकों ने 2008-09 की बैलेंस शीट लगाई। शासन की तरफ से गठित समिति ने सलाहकारों की संस्तुति के आधार पर दोनों कंपनियों को सभी सातों मिलें बेच दीं। लेकिन जांच में यह दोनों कंपनियां फर्जी पाई गई थीं।