भारत और चीन के बीच मई की शुरुआत से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध जारी है। पिछले पांच महीनों से चीन के साथ संघर्ष में व्यस्त भारतीय सेना की बख्तरबंद रेजिमेंट 14,500 फीट से अधिक ऊंचाई पर चीनी सेना का मुकाबला करने को पूरी तरह से तैयार है।

सीमा पार के दुश्मन से मुकाबला करने के लिए सेना भी सैनिकों के लिए नए आश्रय और पूर्वनिर्मित संरचनाओं का निर्माण करके भयंकर सर्दियों से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है।
इसी के मद्देनजर रविवार को भारतीय सेना ने लेह से 200 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में टैंक और पैदल सेना के वाहनों की एलएसी के पास तैनाती की।
इसके अलावा एलएसी पर बीएमपी-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ टी-90 और टी-72 टैंकों की भी तैनाती की गई है। इन्हें पूर्वी लद्दाख में माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में संचालित किया जा सकता है।
वहीं 14 कॉर्प्स के चीफ ऑफ स्टाफ के मेजर जनरल अरविंद कपूर ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, ‘फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स भारतीय सेना का एकमात्र फॉरमेशन है और दुनिया में भी ऐसे कठोर इलाकों में यंत्रीकृत बलों को तैनात किया गया है।
टैंक, पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों और भारी बंदूकों का इस इलाके में रखरखाव करना एक चुनौती है। चालक दल और उपकरण की तत्परता सुनिश्चित करने के लिए, जवान और मशीन दोनों के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई हैं।’
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भीषण सर्दी पड़ती है। यहां रात में तापमान सामान्य से 35 डिग्री कम होता है और उच्च गति वाली ठंडी हवाएं चलती हैं। वहीं भारतीय सेना की मशीनीकृत पैदल के पास किसी भी मौसम की स्थिति और किसी भी इलाके में काम करने का अनुभव है। उच्च गतिशीलता गोला बारूद और मिसाइल भंडारण जैसी सुविधाओं की वजह से यह लंबी अवधि तक लड़ाई करने की क्षमता रखती है।
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