आपने अक्सर देखा होगा की मंदिरो में लोग बड़ी ही श्रद्धा से सर झुकाते है। लेकिन क्या आपने सुना है की श्रद्धा के साथ चट्टानें भी सर झुकाती है, नहीं ना लेकिन यह भी सम्भव है दरअसल हम बात कर रहे है। अजमेर की। जी हाँ यह अजमेर के एक ऐसे गांव की कहानी है, जहां भगवान को नमन करने के लिए इंसानों के साथ ही चट्टानें भी झुकी दिखाई देती हैं। यह गांव अजमेर का देवमाली है। यह गांव अपने आप में आस्था, विश्वास और परम्पराओं का ऐसा अनोखा संगम है। गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की कर्म स्थली है देवमाली गांव।

कहा जाता है की यही वो स्थान है जहां भगवान देवनारायण ने भाद्रपद शुक्ल की सप्तमी को सदेह स्वर्गारोहण से लौट कर अपने मंदिर का निर्माण किया और गुर्जर समाज को दीक्षा दी। यहां भगवान देवनारायण का मंदिर एक विशाल पहाड़ी पर स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है की इस की स्थापना स्वयं भगवान देवनारायण ने की थी। इस गांव के निर्जन इलाके में जहां सिर्फ चट्टानें ही हैं, वहां यह मंदिर बना हुआ है। इन चट्टानों को जब गौर से देखते हैं तो पता चलता है की यह सभी चट्टानें एक ही दिशा में झुकी हुई हैं।
जी हां यह सभी चट्टानें भगवान देवनारायण मंदिर की ओर झुकी हुई हैं। स्थानीय लोगो का मानना है की जब भगवान देवनाराय स्वर्ग से लौट कर यहां पहुंचे तो इंसानों के साथ ही धरती मां ने भी उनका नमन किया। सभी चट्टानें भी उन्हें नमन करती हुई मंदिर की दिशा में झुक गईं। साथ ही सभी सूखे पेड़ भी हरे-भरे हो गए और उन्होंने भी झुक कर भगवान को नमन किया।
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