गुजरात के निजी सकूल संचालकों ने राज्य सरकार के 25 फीसदी स्कूल फीस घटाने के आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है। फेडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस्ड स्कूल ने कहा है कि अभिभावकों की आर्थिक स्थिति के आधार पर वे 10 से सौ फीसदी फीस माफी करने को तैयार हैं। हाईकोर्ट में पेश अपने जवाब में यह भी कहा है कि फी रेगुलेशन ऑथोरिटी की ओर से 5 से 12 फीसदी फी बढ़ोतरी को पूरी तरह माफ करने को तैयार हैं।
गुजरात में निजी स्कूल संचालकों व राज्य के शिक्षा विभाग के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। कोरोना महामारी के बीच हाल गुजरात में भी सरकारी व निजी स्कूल पूरी तरह बंद हैं इसलिए राज्य सरकार का कहना है कि जब तक स्कूल खुल नहीं जाते हैं तब तक स्कूल को शुल्क नहीं लेना चाहिए। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ व न्यायाधीश जे बी पारडीवाला की खंडीपीठ में सरकार की ओर से पेश जवाब में निजी स्कूलों को स्कूल फी में 25 फीसदी की कटौती करने की बात कही गई है। उधर फेडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस्ड स्कूल ने अपने जवाब में कहा है कि सरकार की ओर से सीधे 25 फीसदी फीस घटाने पर वे सहमत नहीं हैं। निजी सकूल अपने यहां पढ़ने वाले छात्र व छात्राओं के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति का आंकलन करके उनकी जरुरत के मुताबिक 10 से सौ फीसदी तक फी माफ करने को तैयार है।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक स्थिति पर पडे विपरीत असर को देखते हुए सरकार निजी स्कूलों की फीस में 25 फीसदी कटौती चाहती है। सरकार ने 15 अगस्त को निजी स्कूल संचालकों व उनके संगठन पदाधिकारियों के साथ बैठक कर अपनी मंशा जता दी थी। इसके बाद 20 अगस्त को फिर सरकार ने उनके साथ बैठक कर अपनी बात रखी लेकिन शाला संचालक मानने को तैयार नहीं हैं। निजी शाला संचालक मंडल के अध्यक्ष अजय पटेल का भी यह कहना है कि वे अभिभावकों को 25 प्रतिशत स्कूल शुल्क से भी अधिक राहत देने को तैयार हैं लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर ही यह फैसला करना चाहते हैं। सरकार चाहती है कि सभी बच्चों की स्कूल फीस 25 प्रतिशत घटा दी जाए जबकि कई अभिभावक स्कूल फीस भरने में सक्षम हैं।
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