हितों के टकराव का आरोप झेल रहे पूर्व भारतीय बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) को लेकर विनोद राय के नेतृत्व वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि उनके बीच संवाद की कमी है। लक्ष्मण ने कहा कि सीओए ने पहले सीएसी के लिए व्यापक भूमिका का वादा किया था, लेकिन वह इसका इस्तेमाल सिर्फ सीनियर राष्ट्रीय टीम के कोच के चयन के लिए करता है।
मैदान में शांत रहने वाले लक्ष्मण ने बीसीसीआइ के लोकपाल एवं नैतिक अधिकारी को ‘हितों के टकराव’ मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अगर टकराव की बात आती है तो मैं उसका ‘विरोध’ करने के लिए तैयार हूं। लक्ष्मण ने अपने वकील के जरिये दायर किए गए हलफनामे में लिखा, ‘हमने 07 दिसंबर 2018 को प्रशासकों की समिति से अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों के दायरे को स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन हमें आज तक कोई जवाब नहीं मिला।
हमें 2015 में इससे संबंधित पत्र मिला था, लेकिन इस पर कार्यकाल के समय का जिक्र नहीं है, ऐसे में यह अपेक्षा करना उचित है कि सीओए से कोई जवाब मिले कि सीएसी अस्तित्व में है या नहीं। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है।’
इस मामले में लक्ष्मण के अलावा सचिन तेंदुलकर ने भी बीसीसीआइ के लोकपाल को अपना जवाब भेज दिया। तेंदुलकर और लक्ष्मण को मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के सदस्य संजीव गुप्ता द्वारा दायर की गई शिकायत पर नोटिस भेजा गया था। शिकायत के मुताबिक लक्ष्मण और तेंदुलकर ने आइपीएल फ्रेंचाइजी टीमों सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के ‘सहायक सदस्य’ और बीसीसीआइ के सीएसी के सदस्य के रूप में दोहरी भूमिका निभाई, जिसे कथित हितों के टकराव का मामला बताया गया था।
लक्ष्मण ने अपने जवाब में लिखा, ‘हमें ऐसी जानकारी मिली थी कि हम भारतीय क्रिकेट के विकास में योगदान देंगे, इसलिए मैंने सीएसी का सदस्य बनने के लिए हामी भरी थी। संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट को सुपर पॉवर बनाने में योगदान देने का मौका मिलना ही मेरे लिए इतना खास था कि मैं इसके लिए मेहनताना लेने से मना कर सकता था।’ लक्ष्मण ने दावा किया कि सीओए ने तीन सदस्यीय सीएसी (जिसके तीसरे सदस्य सौरव गांगुली हैं) को महिला टीम का मुख्य कोच चुनने के लिए काफी कम समय दिया।