दुनियाभर में वैज्ञानिक और शोधकर्ता कोरोना वायरस के लिए एक वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। चीन से फैली इस महामारी ने दुनियाभर में 35 लाख 80 हजार लोगों को संक्रमित किया है, वहीं अब तक दो लाख 52 हजार लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
ऐसे में जब तक वैक्सीन नहीं बन जाता है, तब तक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने लैब में एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बनाया है, जो नए कोरोना वायरस को खत्म कर सकता है। इस महामारी का उपचार खोजने और प्रसार को रोकने के प्रयासों में एक शुरुआती, लेकिन आशाजनक कदम है।
नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, प्रायोगिक एंटीबॉडी ने सेल में ही वायरस को बेअसर कर दिया है। हालांकि, यह दवा विकास प्रक्रिया के शुरुआती चरण में है।
मगर, एंटीबॉडी को covid-19 और भविष्य में उससे संबंधित बीमारियों को रोकने या उनका इलाज करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी इसकी जानवरों पर रिसर्च नहीं हुई और न ही मानवीय परीक्षण हुए हैं। इस एंटीबॉडी को अकेले या दवा संयोजन के साथ देकर कोरोना के मरीजों का इलाज किया जा सकता है।
नीदरलैंड में यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के बेरेन्ड-जान बॉश और सहयोगियों ने पेपर में लिखा कि यह देखने के लिए और ज्यादा शोध की जरूरत है कि क्या निष्कर्ष की एक क्लीनिकल सेटिंग में पुष्टि होती है और कैसे एंटीबॉडी वायरस को सटीक रूप से खत्म कर सकते हैं।
47D11 के रूप में जाना जाने वाला यह एंटीबॉडी स्पाइक प्रोटीन को लक्षित करता है, जो नए कोरोना वायरस को एक मुकुट जैसा आकार देता है और इसे मानव कोशिकाओं की अनुमति देता है।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी लैब-निर्मित प्रोटीन हैं, जो स्वाभाविक रूप से शरीर में मिलने वाले एंटीबॉडी से मिलते हैं और बैक्टीरिया व वायरस से लड़ने में मददगार होते हैं।
अत्यधिक शक्तिशाली ये एंटीबॉडी वायरस पर ठीक एक साइट को लक्षित करते हैं। इस मामले में वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के लिए विभिन्न एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित चूहों का उपयोग किया। बताते चलें कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज ने पहले ही कैंसर में एक उपचार क्रांति ला दी थी।