मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद आखिरकार काफी गहमागहमी के बाद मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री तय हो गया है। काफी माथापच्ची और सियासी बैठकों के बाद आखिरकार गुरुवार की रात यह फैसला हो गया कि कमलनाथ ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे। राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की युवा जोश से भरी इमेज पर कमलनाथ के अनुभव को वरीयता देते हुए उन्हें मध्य प्रदेश का नया सीएम बनाने का फैसला ले लिया। दरअसल, मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार थे। एक कमलनाथ और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया। मगर कांग्रेस हाईकमान ने काफी सोच-समझने के बाद कमलनाथ के नाम पर मंजूरी दे दी। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस ने यह फैसला आगे की रणनीति और बीजेपी से एक डर को भी ध्यान में रखकर लिया है। बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर हुई है जिसमें कांग्रेस भी बहुमत के आंकड़े 116 से दो कदम दूर 114 पर ही रह गई है। उधर 15 साल राज्य पर शासन कर चुकी बीजेपी के पास भी 109 सीटें हैं और बहुमत से सिर्फ 7 कदम दूर है। 7 अन्य सीटों में से 2 बसपा, 1 सपा और 4 निर्दलीयों के पास है। गोवा और नागालैंड में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहले ही कम सीटों में भी सरकार बना लेने की अपनी योग्यता का परिचय दे चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए ज़रूरी था कि सीएम जैसा ज़रूर पद किसी अनुभवी के पास हो।
ऐसी खबरें थीं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे और युवा की बात करने वाले राहुल गांधी उन्हें सीएम बना सकते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ। वहीं राज्य में नवनिर्वाचित विधायक और पार्टी नेता कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। कुर्सी एक और दावेदार दो। अब कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि आखिर दो दावेदारों में से किसे राज्य का मुखिया बनाया जाए, जिससे बीजेपी को किसी तरह से बाजी पलटने से रोका जा सके। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले की घड़ी में युवा जोश के बदले अनुभव को तरजीह दी। वैसे भी मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम पर युवा जोश बनाम अनुभव की ही लड़ाई थी।