राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोलकाता कॉलेज की एक छात्रा तानिया परवीन के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत कोलकाता की विशेष अदालत में आरोप पत्र पेश किया है. आरोप के मुताबिक तानिया परवीन आईएसआई के अधिकारियों के संपर्क में थी और आईएसआई के अधिकारियों की तरफ से उसे फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर भारत में सशस्त्र बलों के अधिकारियों से दोस्ती कर सूचना निकालने का काम सौंपा गया था.
लश्कर-ए-तैयबा से हैं तानिया के संबंध- पुलिस
एनआईए के एक आला अधिकारी ने बताया कि 18 मार्च 2020 को एक गुप्त सूचना के आधार पर पश्चिम बंगाल पुलिस ने बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की गांव मल्लेपुर निवासी तानिया परवीन पुत्री अलमीन को गिरफ्तार किया. पश्चिम बंगाल पुलिस ने आरोप लगाया था कि तानिया परवीन के संबंध आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से हैं. बाद में यह मामला जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया और एनआईए ने 5 अप्रैल 2020 को इस मामले में मुकदमा दर्ज कर अपनी जांच शुरू की.
आतंकवाद से जुड़े 70 समूहों का हिस्सा थी तानिया
एनआईए के आला अधिकारी के मुताबिक, जांच के दौरान पता चला कि तानिया प्रवीण सोशल मीडिया पर धीरे-धीरे 70 ऐसे समूहों का हिस्सा बन गई थी जो किसी ना किसी रूप में आतंकवाद से जुड़े हुए थे. इन्हीं ग्रुपों के जरिए लोगों को आतंकी बनाने का काम भी किया जाता है और उसके पहले सोशल मीडिया के इन प्लेटफॉर्मो के जरिए देखा जाता है कि जिसे ग्रुप में शामिल किया जा रहा है, वह भारतीय विचारधारा के कितना खिलाफ है और आतंकी गुटों के कितने काम आ सकता है.
तानिया ने अपने विचारों में जाहिर की थी कट्टरता
तानिया परवीन ने अपने विचारों में कट्टरता जाहिर की थी और और आतंकवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करने में भी दिलचस्पी जाहिर की थी. एनआईए के आला अधिकारी के मुताबिक जांच के दौरान यह भी पता चला कि आरोपी विभिन्न फिलिस्तीनी और सीरियाई जिहादी सोशल मीडिया समूहों में भी सक्रिय थी.
जांच में पता चला कि लाहौर स्थित लश्कर के कार्यकर्ताओं ने पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारियों को आरोपी से मिलवाया था, जिन्होंने उसे संवेदनशील रणनीतिक जानकारी हासिल करने के लिए भारत में फर्जी फेसबुक प्रोफाइल खोलने और सशस्त्र बल के सदस्यों से दोस्ती करने का काम सौंपा था. भारत में व्यापक साजिश का खुलासा करने के लिए आगे की जांच जारी है.
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