20-20 का ये साल ‘टी-20 की तरह हर पल रंग बदल रहा है. इस साल ने दुनिया बदल दी, दुनियादारी बदल दी, जीने के ढंग बदल दिए मरने का अंदाज़ बदल दिया, मौत के बाद की रस्में बदल दीं. पर एक छोटे से जिस वायरस ने ये सब कुछ बदला वो खुद इतना बदल रहा है कि दुनिया के सबसे जहीन दिमाग डाक्टर और साइंटिस्ट तक हैरान हैं.
हैरान हैं कि कोरोना कितने पैंतरे बदलेगा. अभी तक ये वायरस जिस्म में दाखिल होने के बाद सांस लेने के सिस्टम पर हमला कर रहा था. मगर अब पता चल रहा है कि ये जिस्म के अंदर हर अंग पर हमले कर रहा है.
अब तक जो कोरोना वायरस मरीज़ों के सांस लेने के सिस्टम में दिक्कत पैदा कर रहा था. उसने अब अपनी चाल बदल ली है. अब इसके मरीज़ों में कुछ और डराने वाले लक्ष्ण नोटिस किए जा रहे है. ये वायरस अब ना सिर्फ शरीर में घुसने के बाद ब्लड क्लॉटिंग यानी खून के थक्के बना रहा है बल्कि शरीर के कई दूसरे अंगों पर भी हमला कर रहा है.
न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई हॉस्पिटल में कोरोना मरीज़ों के शरीर के कई हिस्सों में खून के थक्के देखे गए तो कहीं खून गाढ़ा मिला. कोरोना के इस नए सिम्टम्स ने डॉक्टरों को हैरानी में डाल दिया है.
माउंट सिनाई हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजिस्ट ने कई मरीज़ों में किडनी में ये ब्लड क्लॉटिंग देखी है. जहां खून जमने से मरीज़ों की मौत हुई है. न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर जेडी मोक्को के मुताबिक किडनी पेशेंट के डायलसिस कैथेटर खून जमने की वजह से ब्लॉक हो गए थे.
वहीं वेंटिलेटर पर रहने वाले कोविड 19 मरीजों का मॉनिटर कर रहे पल्मनोलॉजिस्ट ने फेफड़ों में खून की भारी कमी देखी, जबकि न्यूरो सर्जन ने कोविड19 पॉज़िटिव पाए जाने वाले ज़्यादातर मरीज़ों के मामले में ब्रेन में ब्लड का थक्का पाया.
न्यूयॉर्क स्थित द माउंट सिनाई हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर जेडी मोक्को ने बताया कि अब तक कोविड 19 को सांस से जुड़ी बीमारी माना जा रहा था.
लेकिन अब ब्रेन स्ट्रोक के शिकार मरीज़ों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण दिखाई दे रहा है. हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुआ एक युवक कोरोना संक्रमित पाया गया था. इसी तरह 32 मरीज़ों को दिल का दौरा पड़ा, जिसमें आधे से ज्यादा कोरोना पॉज़िटिव थे.
इन मामलों के सामने आने के बाद डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस अब सिर्फ फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि सिर से लेकर पैर तक ये शरीर के हर अंग पर रिएक्शन करने का माद्दा रखता है.
अब तक सामने आए मामलों में इस बात की पुष्टि हुई है कि ये वायरस दिमाग को भी प्रभावित कर रहा है. कई मरीजों में सिर दर्द की वजह से दिमाग में सूजन देखी गई है, जिससे मरीज़ ने बोलने की क्षमता तक खो दी. इतना ही नहीं इस वायरस से पीड़ित मरीज़ों के सेंसस यानी इंद्रियों पर भी असर पड़ रहा है.
अटलांटा के इमोरी विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विभाग में क्रिटिकल केयर सर्जन डॉ. क्रेग कूपरस्मिथ के मुताबिक अस्पताल में थक्का-रोधी मशीन पर रखने के बावजूद मरीजों में खून के थक्के बनना बंद नहीं हो रहे.
ऐसे मामले शहर के दूसरे अस्पतालों में इलाज करा रहे करीब 40 फीसदी कोरोना मरीज़ों में भी देख गए हैं. ऐसा लग रहा है मानों कोरोना के वायरस ने अपने आपको बदल लिया है.
अब ये म्यूटेंट वायरस अलग-अलग रिएक्शन दिखा रहा है. कुछ मरीज़ों की मौत के बाद उनकी ऑटोप्सी की रिपोर्ट में फेफड़ों में सैकड़ों माइक्रो क्लॉट्स आए हैं. बड़े आकार के खून के थक्के बनने से इन्हें ब्रेन या हार्ट पर स्ट्रोक पड़ा था.