कोविड टेस्टिंग के नाम पर कुछ प्राइवेट लैब पैसा लूटने का काम कर रही हैं। मरीज की पॉकेट देखकर कर रिपोर्ट दी जा रही है। पारिवारिक हालत अच्छी है तो रिपोर्ट पॉजिटिव बताकर स्वजनों की टेस्टिंग कर खूब नोट कमाए जा रहे हैं, जबकि आर्थिक हालत कमजोर है तो रिपोर्ट नेगेटिव बताई जा रही है।
यह खुलासा एक केस के दो जगह लैब में टेस्ट कराने पर हुआ है। काउंसलर दविंदर बबला ने प्रशासक वीपी सिंह बदनौर, एडवाइजर मनोज परिदा और डीसी को चिट्ठी लिखकर ऐसी लैब के लाइसेंस कैंसल करने की मांग रखी है। साथ ही सभी गवर्नमेंट डिस्पेंसरी में टेस्ट कराने की मांग रखी है।
उन्होंने बताया कि प्राइवेट लैब ने टेस्ट करने का धंधा बनाया हुआ है। लैब में देखा जाता है कि पेशेंट किस परिवार से है। अगर अच्छे परिवार से है तो उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव करके उनके परिवार के सदस्यों को चैकिंग के लिए बुलाया जाता है। उन से चैकिंग के पैसे वसूले जाते हैं। वीरवार को उनके वार्ड में ऐसा उदाहरण देखने को आया।
एक गर्भवती महिला का टेस्ट एक प्राइवेट लैब से करवाया गया। महिला की एक दिन बाद डिलवरी ड्यू डेट थी उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव कर के उनके घर के 15 सदस्यों का टेस्ट किया जो कि सभी नेगेटिव निकले। पूरा परिवार सकते में आ गया। परिवार ने उस गर्भवती महिला का टेस्ट अगले ही दिन किसी दूसरी जगह से करवाया वहां रिपोर्ट नेगेटिव आई। अब कौन सी रिपोर्ट सही मानी जाए।
अब बच्चे की डिलिवरी जिस हॉस्पिटल में हुई वहां भी रिपोर्ट नेगेटिव आई। बबला ने प्रशासक से मांग की है कि ऐसी लैब का लाइसेंस रद कर के कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि यह जो लूट मचाई है वह बंद हो। उन्होंने पहले भी निवेदन किया था कि शहर की सभी डिस्पेंसरी में कोरोना टेस्ट करने की व्यवस्था की जाए, जिससे शहर वासियों को राहत मिले।
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