पांच साल पहले शहर में बंद हो चुके स्लाटर हाउस में से एक नगर निगम के पशु चिकित्साधिकारी को अचानक बंद तालों के पीछे बकरमंडी में चलता हुआ मिला। सरकारी तंत्र की आंखों में धूल झोंक कर जानवरों की अवैध रूप से हो रही कटान को देखकर अफसर भी अचंभे में पड़ गए हैं। नाराज पशु चिकित्साधिकारी ने जोनल अभियंता को इस संबंध में कार्रवाई कर स्लाटर हाउस बंद कराने को कहा है ताकि इन पर कब्जा न हो पाए।
अदालत के आदेश पर गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 24 दिसंबर 2013 को सभी स्लाटर हाउस बंद कर दिए गए थे। बकरमंडी स्लाटर हाउस में टूटी बाउंड्रीवाल का फायदा उठाकर जानवरों को काटने वालों ने ताला लगा होने को बाद भी कब्जा कर लिया। इस मामले की जानकारी मिलने पर पशु चिकित्साधिकारी डॉ एके सिंह ने स्लाटर हाउस का निरीक्षण किया तो बकरमंडी में स्लाटर हाउस चलता हुआ मिला। मौके पर कुछ कसाई मांस काटते व बेचते पाए गए। जिन्हें वहां से हटाया गया और चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
इस मामले में पशु चिकित्साधिकारी ने जोनल अभियंता को पत्र लिखा है कि बकरमंडी स्लाटर हाउस जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। स्लाटर हाउस की बाउंड्रीवाल क्षतिग्रस्त अवस्था में होने के कारण वहां कसाई स्लाटर हाउस के अंदर जाकर अवैध रूप से मांस को काटते और बेचते हैं। आस-पास कई अवैध दुकानों द्वारा स्लाटर हाउस पर कब्जा किया जा रहा है। ऐसे में बकरमंडी स्लाटर हाउस अवैध कब्जेदारों से सुरक्षित रखने के लिए चारों तरफ बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया जाना जरूरी है।