केंद्र सरकार को चार वर्ष पूरे हो गए। सरकार ने सबसे ज्यादा जोर स्वच्छता पर दिया। स्वच्छ भारत मिशन चला। इसके अलावा भी केंद्र और प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में बस्तियों में रहने वाले गरीब हैं। मगर, अफसर कितने बेफिक्र और लापरवाह हैं, इसका नजारा आपको राजापुरवा क्षेत्र की बस्तियों में देखने को मिल जाएगा। कई वर्षो से यहां की आबादी गंदगी और दुर्गध के बीच छटपटा रही है।
‘जागरण आपके द्वार’ अभियान के तहत दैनिक जागरण की टीम रविवार को राजापुरवा क्षेत्र पहुंची तो यहां नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर गरीबों से सामना हुआ। संकरी गलिया हैं, जिनमें इंटरलॉकिंग टाइल्स बनी हैं और नालियां भी बनवा दी गई हैं। मगर, इन नालियों का पानी जाएगा कहां, इसका कोई इंतजाम नहीं है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि यहां आइटीआइ की जमीन पर जो पुराना तालाब है, पहले उसी में नालियों का पानी जाता था। फिर धीरे-धीरे उस तालाब में मलबा, कूड़ा इकट्ठा होता गया। कुछ हिस्से पर कब्जा कर निर्माण भी कर लिया गया। तालाब अब ऐसा दलदल का स्वरूप ले चुका है, जिसमें पानी नहीं जाता है। दूसरा कोई बहाव का रास्ता नहीं है, इसलिए सारी गंदगी बस्ती की सड़कों पर भरी रहती है। बजबजाती-उफनती नालियों घर की दहलीज बनी हुई हैं।
नाला एकमात्र विकल्प, फंसा है जमीन का पेंच
यहां की जल निकासी के लिए एकमात्र विकल्प है कि नया नाला बना दिया जाए, लेकिन उसमें जमीन का पेंच फंसा है। एक तरफ जेके मंदिर की जमीन है तो दूसरी तरफ आइटीआइ की भूमि है। दोनों ही जगह से अनुमति न मिलने से मामला ठप पड़ा है।
15-20 दिन बाद हो पाती है सफाई
क्षेत्र में समस्या सिर्फ जलभराव की ही नहीं है। यहां सफाई व्यवस्था भी बेहद लचर है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि सफाई कर्मी 15-20 दिन बाद सफाई करने आते हैं। नियमित रूप से बस्तियों में झाड़ू तक नहीं लगती है।
शोपीस बन गए हैंडपंप
राजापुरवा में जलकल की लाइन से जो जलापूर्ति होती है, उसका प्रेशर बहुत कम होता है। यहां करीब 25 सरकारी हैंडपंप तो लगे हैं, लेकिन वह सिर्फ दिखावे के हैं। बमुश्किल पांच-छह हैंडपंप ही पानी दे रहे हैं, बाकी सूख चुके हैं।
बोले क्षेत्रवासी
‘जलभराव की समस्या बहुत पुरानी है। कई बार नगर निगम की टीम आकर देख चुकी है, लेकिन आज तक समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है।’
नन्हेलाल
‘इतनी गंदगी में कोई नहीं रहना चाहता, लेकिन हम लोग तो मजबूर हैं। यह तो संभव नहीं है कि इस घर को छोड़कर दूसरा मकान खरीद सकें।’
पूनम
‘वैसे तो चोक नालियों से हमेशा ही गंदगी भरी रहती है, लेकिन बरसात में समस्या बहुत बढ़ जाती है। तब लोगों के घरों में पानी भर जाता है।’
सुर्जन सिंह
‘नगर निगम के अधिकारियों को चाहिए कि कोई रास्ता ढूंढें। नाला निर्माण के लिए प्रयास करें और नियमित रूप से सफाई तो कराएं।’
डॉ. महेश
इनका कहना है
‘समस्या बहुत पुरानी है। मैंने पार्षद बनते ही समाधान के लिए प्रयास शुरू कर दिए। संकरी गलियों से होकर जेसीबी तालाब तक पहुंच नहीं सकती। नगर निगम को नाला निर्माण का प्रस्ताव बनाकर दिया है। वहीं, पांच हैंडपंप चालू करा दिए हैं और सात का रीबोर जल्द होने वाला है।’
नीरज बाजपेयी
पार्षद
न्यूमेरिक के लिए
– मुश्किल में 40 हजार आबादी
– 25 लगे हैं हैंडपंप, पांच ही चालू
– 15 से 20 दिन में होती है सफाई