केंद्र ने फैसले से पहले कोर्ट में अपना हलफनामा दिया, जिसमें सफाई दी गई कि कानून बनने से पहले व्यापक स्तर पर चर्चा की गई थी. सरकार ने कहा कि कानून जल्दबाजी में नहीं बने हैं बल्कि ये तो दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है.

हलफनामे में कहा गया कि देश के किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विकल्प भी दिया गया है. इससे साफ है कि किसानों का कोई भी निहित अधिकार इन कानूनों के जरिए छीना नहीं जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सोमवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई गई, साथ ही जिस तरह के किसान आंदोलन को सरकार ने संभाला उसपर नाराजगी व्यक्त की गई. ऐसे में अदालत ने कहा है कि अब वो ही इसका निर्णय करेंगे, इसीलिए बीते दिन कमेटी के लिए नामों को मांगा गया. जबतक कमेटी कोई निर्णय नहीं देगी, कानून लागू होने पर रोक लगी रहेगी. किसानों ने हालांकि किसी कमेटी के सामने पेश होने से इनकार किया है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आज हर किसी की नज़र है.
किसान आंदोलन को लेकर आज का दिन काफी अहम होने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट कृषि कानून, आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगा.
ऐसे में सरकार और किसान संगठन के बीच आगे का रास्ता क्या होगा, उससे साफ हो जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि अदालत एक कमेटी बना सकती है, जैसे की सुनवाई के दौरान संकेत दिए गए थे.
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