जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी एलआईसी की पंचलाइन के चक्कर में लोग अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पालिसी लेते हैं। लेकिन यहीं कंपनी अब आदमी की मृत्यु के बादउिनके स्वजनों के मानसिक तनाव का कारण बन गई है। एक साल पहले मां-बाप को खो देने वाले बच्चों से उनके परिजनों द्वारा लिए गए कर्ज को चुकानें के लिए धमकी दे रही है। इस तनाव से परेशान होकर नाबालिगम बच्चों ने मप्र बाल अधिकार आयोग से गुहार लगाई है।
बता दें कि एएलआईसी में कार्यरत जितेंद्र पाठक की पत्नी डा. सीमा पाठक का कोरोना की वजह से चार मई 2021 को निधन हो गया था। वो शासकीय स्कूल में शिक्षका थी। इस घटना के दस दिन बाद कोरोना की वजह से 15 मई 2021 को जितेंद्र पाठक की भी मृत्यु हो गई। इनके जाने के बाद घर में इनके पीछे 17 वर्षीय बेटी वनीषा और 11 वर्षीय बेटा विवान बचे हैं। बच्चों ने बताया कि जितेंद्र पाठक ने साल 2012 में होशंगाबाद रोड स्थित पेबल वे कालोनी में 26 लाख रुपये का घर खरीदा था। अब यह कर्ज बढ़र 29 लाख रुपये का हो गया है। लेकिन उनके गुजरने के बाद अब किष्तें जमा नही हो रही हैं। हालांकि स्वर्गीय पाठक के निधन की जानकारी एलआईसी को भी देदी गई थी। इसके बावजूद परेशान करने के लिए एलआईसी के अधिकारी बच्चों को कर्ज चुकाने का नोटिस भेज रहे हैं। हालांकि एलआइसी प्रबंधन इसे तकनीकी गलती बता रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कंप्यूटर की गलती से ऐसा हुआ है, कर्ज वसूली को लेकर बच्चों पर कोई दबाव नहीं बनाया गया। केवल नोटिस भेजा गया है।
मामा कर रहे बच्चों की देखभाल
बच्चों के मा-बाप का निधन होने के बाद इनकी देखरेख उनके मामा अशोक शर्मा कर रहे हैं। शर्मा एमवीएम कालेज में प्रोफेसर हैं और शिवाजी नगर में रहते हैं। बच्चे भी इन्हीं के साथ शिवाजी नगर में रह रहे हैं। अशोक शर्मा ने बताया कि एलआईसी के कर्मचारी होने के बावजूद कंपनी द्वारा इस तरह की असंवदेनशील कार्रवाई गलत है। जबकि जीतेंद्र पाठक ने भी एलआईसी की कई पालिसियां ली थी। अब तक उसका भुगतान भी नहीं हुआ है। लेकिन कंपनी द्वारा लोन के पैसे के लिए बच्चों को नोटिस भेजना गलत है।
इनका कहना
बच्चों को नोटिस भेजा जाना पूर्णत: गलत है। यह उन्हें परेशान करने वाली बात है। इसको लेकर मप्र बाल अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। एलआईसी के अधिकारियों को नोटिस भेजकर जबाव मांगा गया है।
-ब्रजेश चौहान, सदस्य मप्र बाल अधिकार आयेाग