पहली बार कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है. नवंबर 2014 के बाद पहली बार यह सबसे ऊँची कीमत है. ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से कीमतों में उछाल आया है.
ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका एक बार फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगा सकता है.यदि ऐसा हुआ तो कच्चे तेल के निर्यात में होने वाली परेशानी से आपूर्ति कम होगी जिससे कीमतें और बढ़ सकती हैं. एक इकनॉमिक सर्वे के अनुसार कच्चे तेल के बड़े उत्पादक वेनेजुएला में आर्थिक संकट आने से उत्पादन गिरा है.इस कारण कच्चे तेल की कीमतें 2019 में 12 फीसदी बढ़ सकती हैं.
आपको बता दें कि कच्चे तेल की कीमतों वृद्धि होने से देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी और महंगाई बढ़ेगी. जीडीपी गिरने की आशंका है. मार्च में खुदरा महंगाई दर 4.28 थी. लेकिन यह स्थाई नहीं है.रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार 2018-19 में महंगाई 5 फीसदी से ऊपर भी जा सकती है. पता ही है कि अभी भी हमारे देश में ईंधन के दाम आसमान छू रहे हैं.यदि कच्चे तेल के दाम और बढे तो पेट्रोल -डीजल के दाम सौ रुपए तक पहुँचने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.
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