आज तक आपने बहुत सारे शहर और गांव देखे होंगे, पूरी दुनिया में ऐसे बहुत से गांव हैं जो खुद में बहुत अजीबो-गरीब है, हर गांव के लोगों के रहने खान-पान, रिति-रिवाज और वहां का तापमान सभी कुछ अलग होता है. पर आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे गांव के बारे में जहां पर सभी लोग अंधे हैं, फिर चाहे वो स्त्री-पुरुष हों या फिर पशु-पक्षी, सभी अंधे हैं. इस गांव के पक्षी अंधेपन के कारण आसमान में उड़ नहीं पाते हैं और पेड़ों से टकरा कर ज़मीन पर गिर जाते हैं. आइए जानते है इस गांव के बारे में कुछ और बातें.
भारत में एक गांव मौजूद है, जिसका नाम है टिल्टेपक, इस गांव में जोपोटेक जाति के लोग रहते हैं इस गांव की आबादी करीब 300 है और यहाँ पर रेड इंडियन निवास करते हैं. ये लोग जन्मजात अंधे नहीं होते हैं पर जन्म लेने के कुछ समय बाद सभी को दिखाई देना बंद हो जाता है. यहां के लोग पत्थरों के बिस्तर पर सोते हैं और खाने में सेम, मक्का और मिर्च खाते हैं. इन लोगों के पास आज भी लकड़ी के बने हुए औजार है.
टिल्टेपक गानों में एक सड़क के किनारे लगभग 70 झोपड़ियां बनी हुई है, जिनमें यह लोग रहते है. और आपको जानकर हैरानी होगी की किसी भी झोपडी में खिड़कियां और दरवाजे नहीं है ऐसा इसलिए क्योकि यहाँ के सभी लोग अंधे हैं और उन्हें रोशनी की जरूरत नहीं पड़ती है. इन लोगों को सुबह होने का अंदाज़ा भी पशुओं-पक्षियों की आवाज होता है, और शाम के समय ये सभी लोग एक जगह जमा होकर खाना खाते हैं. और शराब पीते और नाचते नाचते गाते हैं.
यहां के लोगों का मानना है की इस गांव में एक लावजुएजा नाम का पेड़ मौजूद है जिसे देखने से यहाँ के लोग लोग अंधे हो जाते है. पर इस बात में बिलकुल भी सच्चाई नहीं है, क्योकि जो टूरिस्ट यहाँ आते हैं वो इस पेड़ को देखकर अंधे नहीं होते. वैज्ञानिकों ने बताया है की यहाँ के लोगो के अंधे होने का कारण एक प्रकार का किटाणु होता है जो एक काली मक्खी के काटने से किटाणु शरीर में फैल जाता है, जिसके कारण आंखों की नसें काम करना बंद कर देती है और व्यक्ति जल्दी अंधा हो जाता है.