उत्तराखंड में एक विधायक खोने के बाद सोमवार को कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा पर बड़ा झटका देते हुए कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य समेत दो विधायक तोड़ लिए। आर्य के साथ उनके पुत्र व नैनीताल से विधायक संजीव आर्य ने कांग्रेस में वापसी की। सोमवार को कांग्रेस ने अनुसचित जाति के इन क्षत्रपों को तोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर संदेश दिया। इससे पहले पार्टी पंजाब में अनुसूचित जाति के चरणजीत सिंह चन्नी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी कर चुकी है।
कांग्रेस ने बीते दिनों भाजपा के हाथों अपना एक विधायक गवां दिया था। उत्तरकाशी जिले के पुरोला से विधायक रहे राजकुमार कांग्रेस का हाथ छिटककर भाजपा में आ चुके हैं। भाजपा के इस प्रहार से तिलमिलाई कांग्रेस ने बड़ा प्रहार प्रतिद्वंद्वी पार्टी पर किया है। 2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस के इस कदम को पार्टी का जवाबी मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। एक कैबिनेट मंत्री और एक विधायक को कांग्रेस ने अपने पाले में खींचकर उत्तराखंड में सियासी जंग को रोचक बना दिया है। चुनाव तक यह जंग ज्यादा रोमांचक होती दिखाई पड़ सकती है। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य छह बार के विधायक तो हैं ही, राज्य में अनुसूचित जाति की सियासत में उनका बड़ा कद है। आर्य वर्तमान में ऊधमसिंह नगर जिले की बाजपुर सुरक्षित सीट से विधायक हैं।
कांग्रेस में अहम पदों पर रह चुके हैं आर्य
यशपाल आर्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लंबे समय तक अध्यक्ष रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। आर्य उस वक्त भी पिछली कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। यशपाल के पुत्र संजीव आर्य नैनीताल सुरक्षित सीट से विधायक हैं। उनकी घर वापसी से कांग्रेस में भी उत्साह महसूस किया जा रहा है। खासतौर पर नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले में आर्य का सियासी प्रभाव माना जाता है।
बीते दिनों उछला था आर्य की नाराजगी का मुद्दा
कैबिनेट मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाल रहे यशपाल आर्य कुछ समय से भाजपा से नाराज बताए जा रहे थे। उनकी नाराजगी की जानकारी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ दिन पहले उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। इसके बाद आर्य ने मीडिया से बातचीत में नाराजगी की चर्चाओं को खारिज कर दिया था।
आर्य के जाने में किसान आंदोलन की भूमिका
बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन और उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी प्रकरण के बाद ऊधमसिंहनगर जिले की सियासत गर्मा रखी है। बाजपुर विधानसभा सीट पर किसानों के असर को देखते हुए आर्य ने भाजपा को बाय-बाय करने का मन बनाया। यही वजह है कि मान-मनुहार के बाद भी उन्होंने अपने पुत्र के साथ सोमवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया।
यशपाल-संजीव का इस्तीफा स्पीकर को भेजा
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और संजीव आर्य ने कांग्रेस में शामिल होते ही विधानसभा सदस्यता से अपना इस्तीफा स्पीकर को भिजवा दिया है। यशपाल आर्य ने कैबिनेट मंत्री के रूप में अपना राजभवन को भेज दिया है।
भाजपा के एक और विधायक छोड़ सकते हैं साथ
भाजपा के एक और विधायक भी जल्द कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। ये विधायक पिछले दिनों सत्तारूढ़ दल से नाराज चल रहे हैं। बीते दिनों उनकी नाराजगी और पार्टी से खींचतान सार्वजनिक हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक विधायक के कांग्रेस में जाने को लेकर औपचारिक घोषणा आगे किसी भी समय की जा सकती है।
भाजपा के सिद्धांत और व्यक्तिगत हित आड़े आए: धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैबिनेट मंत्री आर्य के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जाने पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमने सभी को सम्मान दिया है। अपने परिवार की तरह माना है। राष्ट्र प्रथम, संगठन द्वितीय और व्यक्ति तृतीय का भाजपा का सिद्धांत है। हो सकता है कि इसे लेकर किसी को परेशानी हो और व्यक्तिगत हित आड़े आ रहे हों। उन्होंने यह भी कहा कि जाने वाले को कोई कहां रोक सका है और उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं है।