हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। जी दरअसल हर महीने में दो बार एकादशी तिथि आती है। इनमे एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में आती है। आपको बता दें कि कुल 24 एकादशी साल में पड़ती है। वहीँ आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। आपको बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना होती हैं। जी दरअसल भगवान विष्णु सभी जातकों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मान्यताओं को माने तो श्री कृष्ण का कहना है कि योगिनी एकादशी उपवास 88 हजार ब्राह्माणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। अब हम आपको बताने जा रहे हैं योगिनी एकादशी की तारीख, शुभ मुहूर्त, और कथा।

हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादाशी तारीख 4 जुलाई रविवार शाम 7 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी। यह 5 जुलाई रात्रि 10 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। वहीँ उदया तिथि के साथ एकादशी 5 जुलाई को पूरे दिन रहेगी। इसके चलते पांच जुलाई को योगिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। वहीँ 6 जुलाई सुबह 5 बजकर 29 मिनट से सुबह 8 बजकर 16 मिनट तक पारण का मुहूर्त रहेगा।
क्या है कथा- कुछ मान्यताओं के मुताबिक प्राचीन काल में अलकापुरी नगर के राजा कुबेर का एक माली था। जिसका काम भगवान शिवजी की पूजा के लिए मानसरोवर से फूल लाना था। एक दिन किसी अन्य काम के कारण माली को पुष्प लाने में देरी हो गई। जिसके कारण राजा कुबेर बेहद नाराज हो गए और माली को कोढ़ी होने का श्राप दिया। श्राप से पीड़ित हेम माली भटकते हुए मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा। वहां ऋषि ने माली को योगिनी एकादशी व्रत रखने को कहा। व्रत के प्रभाव से माली श्राप से मुक्त हो गया।
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