भारत में जहाँ एक तरह देवी-देवताओं पर अटूट विश्वास के नाम पर अंधविश्वास को पाला जाता हैं. वहीं एक ऐसा भी गाँव हैं, जहाँ पर लोगो के मरने के बाद उनकी अस्थियों को गंगा या किसी भी नदी में नहीं बहाया जाता हैं, बल्कि उससे जो किया जाता हैं वो सुनकर चौंक जायेंगे आप.
हम बार कर रहें हैं,राजस्थान के चूरू जिले के तारानगर तहसील के गांव ‘लांबा की ढाणी की. यह अपने आप में एक अनूठा गांव है जहां के लोग किसी धार्मिक कर्मकांड में आस्था नहीं रखते हैं. इस गांव में कोई मंदिर नहीं है और ना ही यहां मृतकों की अस्थियों को नदी में प्रवाहित किया जाता हैं. बल्कि इन बची हुई अस्थियों को गाँव वाले दुबारा जला कर राख़ कर देते हैं.
यहाँ पर करीब 105 घर हैं जिसमे से 91 घर जाटों के, 4 घर नायकों और 10 घर मेघवालों के हैं. यहाँ के लोगों का मानना हैं कि वह धर्मकाण्ड के चोचलों में फंसने से बेहतर अपनी मेहनत और कर्म पर ध्यान देना जरूरी समझते हैं. इस समूचे गाओं में एक भी मंदिर नहीं और ना ही यहाँ के लोग नास्तिक हैं.
बस यहाँ के लोग पूजा-पाठ से ज्यादा मेहनत को महत्त्व देते हैं. अपनी लगन और मेहनत के बाल पर यहां के 30 लोग पुलिस में, 30 लोग सेना में, 17 लोग रेलवे में और लगभग 30 लोग चिकित्सा क्षेत्र में गांव का नाम रोशन करने के साथ ही गाँव के पांच युवकों ने खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक तक प्राप्त किए हैं.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal