इस गांव की शान है ‘द ग्रेट चमार’, जानिए क्या है कारण

यूपी के सहारनपुर के एक कोने में बसा है घडकौली गांव. यहां रहने वाले दलित खुद को दलित कहलाने से परहेज नहीं करते बल्कि उस पर फख्र महसूस करते हैं.इस गांव की शान है 'द ग्रेट चमार', जानिए क्या है कारण

गांव के बाहर लगा साइन बोर्ड कहता है- ‘द ग्रेट चमार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ग्राम घडकौली आपका स्वागत करता है. बता दें कि दलितों के लिए ‘चमार’ शब्द का इस्तेमाल जातिसूचक अपराध माना जाता है और भारत की दंड संहिता के अनुसार इस शब्द का इस्तेमाल करने पर आपको सजा भी हो सकती है, लेकिन घडकौली गांव के दलित इस शब्द पर एतराज नहीं बल्कि फख्र महसूस करते हैं.

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अपनी पहचान और अपनी जाति पर इस गांव के दलित शर्मिंदा नहीं है. गांव के रहने वाले राजेश की मानें तो यहां खेती से लेकर सभी काम दलित ही करता है तो आखिर उसे अपने नाम और जाति के नाम पर शर्मिंदा क्यों होना.

एक हजार से ज्यादा आबादी वाले घडकौली गांव में 800 से ज्यादा दलित परिवार रहते हैं. दलितों की एकजुटता का नतीजा ही है कि गांव वालों ने इस गांव को ‘द ग्रेट चमार’ नाम दे दिया, लेकिन इस नाम के लिए उन्हें एक बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी थी. इस नाम की वजह से ही गांव ने साल 2016 में जातीय संघर्ष भी देखा है, लेकिन संघर्ष के बाद भी गांव खड़ा है और शान से दुनिया को अपनी पहचान दिखा रहा है.

‘भीम आर्मी’ का गठन

इस गांव में बनी फौज है-भीम आर्मी. गांव के ज्यादातर लड़के इस ‘भीम आर्मी’ का हिस्सा हैं. वैसे तो भीम आर्मी ने अपना काम दलितों को सामाजिक इंसाफ दिलाना बताया है और यह बाबा साहब आंबेडकर के संविधान में विश्वास करती है, लेकिन इसके साथ कुछ विवाद भी जुड़ गए हैं.

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