इस कारण से होता है चंद्रग्रहण, पौराणिक मान्यता जानिए…

आप सभी जानते ही होंगे कि हर साल चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है. ऐसे में चंद्र ग्रहण के दिन देवी-देवताओं के दर्शन करना अशुभ माना जाता है और कहते हैं इस दिन मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और किसी भी तरह की पूजा का विधान नहीं किया जाता है. ऐसे में भारत में चंद्र ग्रहण को लेकर कई धारणाएं प्रचलित है लेकिन विज्ञान के मुताबिक यह पूरी तरह खगोलीय घटना है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस चद्रग्रहण के पीछे की पौराणिक मान्यता. आइए जानते हैं.

मान्यता : पौराणिक कथानुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के साथ अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसको सुलझाने के लिए मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. जब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया. लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया. देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहु को ऐसा करते हुए देख लिया. इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन राहु ने अमृत पान किया हुआ था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया. इसी कारण राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रस लेते हैं. इसलिए चंद्रग्रहण होता है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com