ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis), हड्डियों की दुर्बलता से संबंधित रोग (Disease Related to Bones) है. लैटिन भाषा में इसका शाब्दिक अर्थ भंगुर हड्डियों से है. इस रोग में हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जिससे उनके टूटने का खतरा अधिक रहता है. ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति को समझने के लिए सबसे पहले हड्डियों की बनावट को समझना आवश्यक है. सामान्य रूप से हड्डियों के दो भाग होते हैं.
पहला – बाहरी कठोर आवरण जिसे कॉर्टिकल या कॉम्पैक्ट बोन कहा जाता है
दूसरा – आंतरिक नरम भाग जिसे ट्रैबेकुलर बोन कहा जाता है
हड्डियों के आंतरिक हिस्से यानी ट्रैबेकुलर की बनावट मधुमक्खी के छत्ते की तरह होती है. इसमें छोटे-छोटे खाली स्थान होते हैं. ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में यही छोटे खाली स्थान, बड़े हो जाते हैं, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और सामान्य सी चोट से ही उनके टूटने का डर रहता है.
दुनिया भर में लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 20 अक्टूबर को ‘विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस’ मनाया जाता है. वैसे तो यह स्थिति उम्रदराज लोगों से जुड़ी हुई है, लेकिन युवा अवस्था से ही कुछ सावधानियां बरतकर स्वयं को इससे सुरक्षित रख सकते हैं. इस लेख में हम आपको ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में सभी आवश्यक जानकारियां देंगे, साथ ही यह भी बताएंगे कि किन उपायों को प्रयोग में लाकर स्वयं को सुरक्षित रखा जा सकता है.
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण
ऑस्टियोपोरोसिस महिला और पुरुष दोनों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन कई अध्ययनों से पता चलता है कि रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में इसका खतरा अधिक बढ़ जाता है. आमतौर पर, शुरुआती चरणों में ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण नजर नहीं आते हैं. इतना ही नहीं ज्यादातर लोगों को फ्रैक्चर के दौरान कराए गए एक्स-रे में ही इसका निदान हो पाता है. एक्स-रे के माध्यम से पता किया जा सकता है कि व्यक्ति के हड्डी का घनत्व ठीक है या नहीं?
अगर आपके परिवार में किसी को ऑस्टियोपोरोसिस हो चुका है तो आपमें भी इसका जोखिम बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति में यदि आपमें लक्षण नजर न भी आ रहे हों तो भी सुरक्षा की दृष्टि से जांच कराते रहना चाहिए. कुछ लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण मसूड़ों की कमजोरी, ग्रिप बनाने की कमजोरी या नाखूनों की कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. ऑस्टियोपोरोसिस के गंभीर मामलों में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि जोर से छींकने से भी उनके टूट जाने का डर रहता है. लगातार पीठ या गर्दन में दर्द भी गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस का लक्षण हो सकता है.
ऑस्टियोपोरोसिस, जानें लक्षण
ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम कारक
कई ऐसी स्थितियां और आदतें हैं, जिनके कारण लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बहुत बढ़ जाता है. ऐसे ही कुछ सामान्य जोखिम कारक निम्नलिखित हैं-
ऑस्टियोपोरोसिस का पारिवारिक इतिहास होना
बढ़ती उम्र
महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद का समय
आहार में कैल्शियम, विटामिन डी, प्रोटीन और अन्य खनिजों की कमी
शारीरिक गतिविधि कम या बिल्कुल न होना
धूम्रपान करने वालों में हड्डियों का घनत्व तेजी से कम होने लगता है
शराब का बहुत अधिक सेवन करना
हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म जैसे थायराइड विकार
कॉर्टिकोस्टेरॉइड या अन्य दवाओं का सेवन करना
ऑस्टियोपोरोसिस से स्वयं को कैसे सुरक्षित किया जा सकता है?
अगर आप कम उम्र से ही बचाव के उपायों को प्रयोग में लाते हैं तो ऑस्टियोपोरोसिस को रोकना बहुत मुश्किल नहीं है. किशोरावस्था से ही निम्न उपायों का पालन करके आप इस गंभीर बीमारी से स्वयं को सुरक्षित कर सकते हैं. ध्यान रहे, ऑस्टियोपोरोसिस से बचे रहने के लिए आपको आजीवन इन उपायों को प्रयोग में लाना चाहिए.
- पौष्टिक आहार का सेवन
हड्डियों को स्वस्थ रखने और उसके घनत्व को बनाए रखने के लिए दैनिक रूप से आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, विटामिन डी और प्रोटीन जैसे खनिजों से परिपूर्ण हों. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में दूध, पनीर, दही, चिकन, मछली, सब्जियों और नट्स का सेवन करें. इसके अलावा अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा है, तो कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक के बारे में जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें. - नियमित व्यायाम करें
आपकी हड्डियां कितनी स्वस्थ हैं यह काफी हद तक मांसपेशियों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. नियमित रूप से वेट ट्रेनिंग और अन्य प्रकार के व्यायामों को करके आप मांसपेशियों और हड्डियों की ताकत को बढ़ा सकते हैं. ऐसा करके ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम किया जा सकता है. - धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें
धूम्रपान और शराब का सेवन, ऐसी दो आदतें हैं जो ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ा देती हैं. अगर आप धूम्रपान करते हैं तो इसे तुरंत बंद कर दें. ऐसे ही शराब के सेवन को भी बंद करके आप स्वयं को ऑस्टियोपोरोसिस से बचा सकते हैं. - वजन को नियंत्रित रखें
अत्यधिक वजन बढ़ने और मोटापे के कारण हड्डियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इतना ही नहीं इससे उनके टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है. पौष्टिक आहार के सेवन और नियमित व्यायाम के माध्यम से आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं. - जांच कराते रहें
अगर आपमें ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम अधिक है, खासकर परिवार में किसी को यह समस्या रह चुकी है तो आपको इसकी जांच कराते रहना चाहिए. डॉक्टर की सलाह के आधार पर आप डुअल एक्स-रे एब्जॉर्पिटोमेटरी (डीएक्सए) टेस्ट करवा सकते हैं.