मध्यप्रदेश में ठंड अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी है और रात्रि के तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुच चुका है। विशेष रूप से पचमढ़ी में ठंड का असर सबसे अधिक महसूस किया जा रहा है, जहा का न्यूनतम तापमान 12.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 15 नवंबर के बाद प्रदेश में ठंड और बढ़ेगी। उत्तरी हवाओं के चलते तापमान में और गिरावट आने की संभावना है। इससे ठंड का प्रभाव ग्वालियर, चंबल सहित अन्य उत्तरी क्षेत्रों में भी बढ़ेगा।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस समय का मौसम खेती-बाड़ी के लिए विशेषकर गेहूं की फसल की बुवाई के लिए अनुकूल है। कृषि विज्ञान केंद्र, शाजापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसएस धाकड़ ने बताया कि 20 अक्टूबर के बाद से चने की बुवाई शुरू हो चुकी है और अब गेहूं की बुवाई का समय है। गेहूं की बुवाई के लिए आदर्श तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। वर्तमान में मौसम इसी के अनुकूल है, जिससे किसान बिना किसी चिंता के गेहूं की फसल की बुवाई कर सकते हैं। मध्यप्रदेश में करीब 1.25 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं की खेती की जाती है, और मौजूदा मौसम इस फसल के लिए उपयुक्त बन गया है।
पिछली रात कुछ प्रमुख शहरों का तापमान इस प्रकार था
जबलपुर में 16 डिग्री सेल्सियस, भोपाल और ग्वालियर में 16.6 डिग्री सेल्सियस, इंदौर में 18.9 डिग्री सेल्सियस, और उज्जैन में 17.5 डिग्री सेल्सियस। इस ठंड के पीछे उत्तरी हवाओं का प्रभाव है, जो ग्वालियर और चंबल संभाग में अधिक महसूस किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में ठंड का असर प्रदेश के अन्य हिस्सों के मुकाबले अधिक रहता है। हालांकि ठंड की शुरुआत है, लेकिन पचमढ़ी, मंडला, और मलाजखंड जैसे शहरों में ठंड का प्रभाव अधिक दिखाई दे रहा है।
15 नवंबर के बाद उत्तरी हवाओं का प्रवाह बढ़ने की संभावना है, जिससे ग्वालियर और चंबल संभाग में भी तापमान में तेजी से गिरावट दर्ज की जा सकती है। इस समय प्रदेश के कई शहरों में रात्रि का तापमान नीचे चला गया है, लेकिन दिन के समय अभी भी गर्मी महसूस की जा रही है। अधिकतर शहरों में दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के ऊपर ही है। मंगलवार को पचमढ़ी में दिन का अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री और मलाजखंड में 27.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि अन्य शहरों में यह 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक था।
मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर के पहले सप्ताह में मध्यप्रदेश का मौसम आमतौर पर ऐसा ही रहता है। उत्तरी भारत में बर्फबारी शुरू होने के बाद मध्यप्रदेश में ठंड का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है। इस साल भी, नवंबर के दूसरे सप्ताह में उत्तर से ठंडी हवाएं आने की संभावना है, जिससे ठंड का असर और तीव्र हो जाएगा। पिछले दस सालों में देखा गया है कि ठंड का यही ट्रेंड नवंबर के मध्य से शुरू होता है और दिसंबर तक ठंड में वृद्धि होती रहती है।
मध्यप्रदेश के सामान्य मौसम की बात करें तो दक्षिण-पश्चिम मानसून के समाप्त होने के बाद अक्टूबर के महीने से ही मौसम में बदलाव आता है। इस समय आसमान में बादल छाए रहते हैं, लेकिन उमस नहीं होती। अक्टूबर के अंत से रात्रि के तापमान में गिरावट दर्ज होने लगती है। ठंड की शुरुआत होने से पहले, ग्वालियर, चंबल, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, और जबलपुर जैसे क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) के प्रभाव से हल्की बारिश भी हो जाती है। इस समय दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, जबकि रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया जाता है।
इंदौर शहर में भी ठंड का प्रभाव दिखाई देता है। ठंड के दूसरे सप्ताह से इंदौर में तापमान तेजी से गिरता है, जिससे रातें ठंडी हो जाती हैं। इस समय तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने लगता है। नवंबर के आखिरी हफ्तों में यह ठंड और बढ़ सकती है। 25 नवंबर 1938 को इंदौर का न्यूनतम तापमान 5.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो एक रिकॉर्ड है। इसके अलावा, कभी-कभी ठंड के दौरान हल्की बारिश भी हो जाती है, जो मौसम को और ठंडा बना देती है। दिन के समय, इंदौर का तापमान 31 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। इस तरह, नवंबर का महीना मध्यप्रदेश में ठंड की शुरुआत का समय होता है। उत्तरी भारत में बर्फबारी के कारण ठंडी हवाएं इस प्रदेश में भी ठंड का प्रभाव बढ़ा देती हैं, जो धीरे-धीरे दिसंबर में चरम पर पहुंचता है।