सनातन धर्म में बताया गया है कि आत्मा को मनुष्य का शरीर बेहद कठिनाइयों से प्राप्त होता है। 84 लाख योनियों में से कई योनियों से गुजरने के पश्चात् आत्मा मनुष्य का जन्म लेती है। इंसान के जन्म में ही वो स्वयं को मोक्ष के रास्ते पर अग्रसर कर सकती है। इसीलिए इंसान को दुनिया की सभी मनुष्यों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

मगर मानव भी अन्य प्राणियों की भांति ही नश्वर होता है। उसे भी वक़्त आने पर मौत का सामना करना ही पड़ता है तथा मौत के पश्चात् अगर उसकी आत्मा को मोक्ष नहीं प्राप्त हुआ तो वो तमाम लोकों का भ्रमण करते हुए दोबारा पृथ्वी लोक में जन्म लेती है तथा अपने बीते जन्म के कर्मों को भोगती है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, एक शरीर को छोड़ने तथा दूसरा शरीर प्राप्त करने के बीच कुछ अंतराल होता है। इस अंतराल में आत्मा कहां रहती है, ये जानने की चाह सभी में होती है तथा इसे सरलता से जाना भी जा सकता है।
सूर्य और चंद्रमा के हालात बताते है पिछले लोक के बारे में:- ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक मनुष्य का जन्म होता है, तब उसके नक्षत्र और जन्म के वक़्त के आधार से उसकी कुंडली बनाई जाती है। इस कुंडली में मनुष्य के पूर्व जन्म से लेकर मृत्यु के पश्चात् तक के हालातों का वर्णन होता है। इसके बारे में जानने के लिए मनुष्य की जन्म कुंडली में सूर्य तथा चन्द्रमा में से जो भी मजबूत हो, उसकी स्थिति का अध्ययन करना चाहिए। इन दोनों में से जो बलवान हो मतलब अपनी राशि या मित्र राशि में तथा चन्द्रमा या शुक्र के द्रेष्काण में हो तो समझना चाहिए कि मनुष्य की आत्मा पितृलोक से धरती पर आई है
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