बढ़ते प्रदुषण, वनों की अंधाधुंध कटाई और तकनीक के अंधे इस्तेमाल से प्रकृति रुष्ट हो गई है, जिसका जलवायु पर सीधा असर नज़र आने लगा है. मई महीने की शुरुआत में ही, जब गर्मी अपने चरम पर रहती है, आधा देश जलमग्न हो चुका है, बेमौसम बारिश से जनजीवन तो अस्त-व्यस्त हुआ ही है, साथ ही बीमारी और महंगाई जैसे समस्याओं के बढ़ने के आसार भी बन गए हैं. आंध्र प्रदेश में भारी तबाही मचाने के साथ ही अब उत्तर पश्चिम भारत में भी बारिश का तांडव शुरू हो गया है.
दिल्ली-एनसीआर सहित पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में अचानक मौसम बदल गया है, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में तूफानी बारिश ने बड़ी तबाही मचाई है. बुधवार को उत्तर भारत के कई हिस्सों में धूल भरी आंधी और बारिश के चलते दिन में अंधेरे छा गया, कुछ देर तक आसमान में धूल के सिवाय कुछ नजर नहीं आ रहा था. लुधियाना समेत कई शहरों में दोपहर डेढ़ बजे इतना ज्यादा अंधेरा छा गया कि गलियों और सडक़ों की लाइटें तक जलानी पड़ी, वाहन चालकों को भी हेडलाइट जलानी पड़ी.
राजस्थान में भारी आंधी-तूफ़ान ने 22 लोगों की जान ले ली, 100 से अधिक घायल हो गए, कई माकन ढह गए और बिजली व्यवस्था चरमरा गई. वहीं पश्चिम बंगाल में बिजली और दीवार गिरने की दो अलग-अलग घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि दो लोग जख्मी हो गए. उत्तराखंड के चमोली में भी बुधवार शाम बादल फटने से भारी तबाही की ख़बर है, नारायणबगड़ में कई दुकानें मलबे से पट गईं, तीन गाड़ियों के मलबे में दबने की भी ख़बर है. वहीं हिमाचल प्रदेश में भी बारिश के कारण जान-मॉल का नुक्सान हुआ है. इनके अलावा मध्यप्रदेश के भी कुछ जिलों में बारिश ने कहर ढाया है. कुल मिलकर पुरे देश में 50 से अधिक लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है.
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