नारद और स्कंद पुराण के अनुसार माघ महीने की द्वादशी तिथि पर तिल दान करने का भी महत्व बताया गया है। आप सभी को बता दें कि इस बार द्वादशी और सूर्य संक्रांति एक ही दिन होने से भगवान विष्णु और सूर्य पूजा से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा। ऐसे में अगर हम धर्म ग्रंथों की माने तो इसके अनुसार, द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान विष्णु हैं। कहा जाता है इस दिन रविवार और पुनर्वसु नक्षत्र भी रहेगा। वहीं रविवार के देवता सूर्य और नक्षत्र के स्वामी आदिति हैं। जो भगवान विष्णु और सूर्य से संबंधित हैं। इस वजह से इस दिन किए गए व्रत और स्नान-दान का कई गुना पुण्य फल मिलेगा। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं किस विधि से करें पूजा और क्या होगा दान से लाभ।
इस विधि से करें पूजा- द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले तिल मिले पानी से नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। ऐसे में पूजा से पहले व्रत और दान करने का संकल्प लें। उसके बाद ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से विष्णु भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें। अब इसके बाद फूल और तुलसी पत्र फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं। उसके बाद पूजा के बाद तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद लंद और बांट दें। जी दरअसल इस तरह पूजा करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है और जाने-अनजाने हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
क्या मिलेगा फल- कहा जाता है इस द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिला पानी पीना चाहिए। फिर तिल का उबटन लगाना चाहिए। वहीं इसके बाद पानी में गंगाजल के साथ तिल डालकर नहाना चाहिए। इस दिन तिल से हवन करें। उसके बाद भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद में तिल खाने चाहिए। कहा जाता है इस तिथि पर तिल दान करने अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान करने जितना पुण्य मिलता है। इस वजह से इस तिथि का विशेष बताया गया है।