उत्तर प्रदेश में हर वर्ष सड़क हादसों में हजारों लोगों की जान चली जाती है। ऐसे में इन हादसों को रोकने के लिए अब प्रदेश सरकार ने जनता को जगरूक करने की ठान ली है। इसी के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क सुरक्षा अभियान शुरु करने के निर्देश दिए है। अभियान में लोगों को समझा-बुझा कर सड़क हादसों पर लगाम लगाना सरकार का लक्ष्य है।
यूपी सरकार जल्द ही दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सड़क सुरक्षा का विशेष अभियान शुरू करने जा रही है। इसकी कार्ययोजना परिवहन और पुलिस सहित विभिन्न संबंधित विभागों ने मिलकर तैयार की है। चरणवार प्रस्तावित इस अभियान की रूपरेखा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज शाम को प्रदेशभर के नगरीय निकायों के साथ वर्चुअल चर्चा करेंगे।
वर्चुअल बैठक में योगी बताएंगे कि कैसे सड़क सुरक्षा अभियान से जनता को जागरूक कर दुर्घटनाओं को कम से कम किया जाए। बैठक में नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों के अलावा दर्जन भर विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, जिला प्रशासन, सर्किल स्तर तक के पुलिस अधिकारी, नगर आयुक्त, नगर पालिकाओं के अधिशासी अधिकारी भी जुड़ेंगे।
मंगलवार को टीम-9 की बैठक में भी सीएम ने दोहराया कि सड़क सुरक्षा के विभिन्न घटकों जैसे रोड इंजीनियरिंग, प्रवर्तन कार्य, ट्रामा केयर और जनजागरुता की दिशा में विशेष प्रयास की जरूरत है। इस अभियान से शिक्षा विभाग को इसीलिए जोड़ा गया है, क्योंकि यातायात नियमों के पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दिया जाना चाहिए।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित टीम-9 की बैठक में निर्देश दिया कि सड़क सुरक्षा के व्यापक महत्व को देखते हुए पुलिस, यातायात, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, परिवहन, नगर विकास, लोक निर्माण आदि संबंधित विभागों के परस्पर समन्वय से जागरूकता अभियान की कार्ययोजना तैयार किए जाने के निर्देश दिए थे। इस कार्ययोजना के साथ प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ आज सीएम योगी संवाद करेंगे। उसके बाद सड़क सुरक्षा अभियान शुरू किया जाएगा।
सीएम का आदेश सड़क पर न चलें अनफिट बसें : मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कों पर स्पीड ब्रेकर की खराब डिजाइन आए दिन दुर्घटनाओं का कारक बनती है। इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। वहीं, फिटनेस के मानकों पर फेल बसों को किसी भी दशा में सड़क पर न चलने दिया जाए। उन्होंने निर्देशित किया कि एंबुलेंस संचालन से जुड़े कार्मिकों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। पीडि़त व घायल लोगों के प्रति अतिरिक्त संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। एंबुलेंस के रेस्पांस टाइम को कम से कम करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाए। साथ ही वालंटियरों को भी इस काम से जोड़ें।